नयी दिल्ली, दो दिसंबर भारतीय रेलवे द्वारा 1999-2000 में शुरू किए गए अधिक उन्नत एलएचबी कोचों में सेंटर बफर कपलर लगाए गए हैं, जिनमें बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के कपलिंग की जाती है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा में इसकी जानकारी दी।
रेल मंत्री ने ट्रेनों के डिब्बों के कपलिंग और डिकपलिग के दौरान अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए किए गए विभिन्न सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए यह बात कही।
वैष्णव उच्च सदन के सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी और डेरेक ओ ब्रायन की ओर से पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे। दोनों सदस्यों ने उस घटनाक्रम को लेकर सवाल किए थे, जिसमें एक रेलवे कर्मचारी की कपलिंग के दौरान हादसे में जान चली गई थी।
दोनों सदस्य जानना चाहते थे कि क्या सरकार 2019 से ट्रेन के डिब्बों की मैनुअल कपलिंग के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं और मौतों का कोई राज्यवार आंकड़ा रखती है और ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाय किए गए हैं।
वैष्णव ने कहा, ‘‘1960 के दशक के दौरान डिजाइन और विकसित किए गए आईसीएफ कोचों को स्क्रू कपलिंग और साइड बफर प्रदान किए गए थे, जिनके लिए कोचों के मैनुअल कपलिंग की आवश्यकता होती है। भारतीय रेलवे ने 1999-2000 में अधिक उन्नत एलएचबी कोच पेश किए थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इन एलएचबी कोचों में सेंटर बफर कपलर लगाए गए हैं, जिसमें बिना किसी मैनुअल हस्तक्षेप के कपलिंग होती है। भारतीय रेलवे ने चरणबद्ध तरीके से आईसीएफ कोचों की जगह एलएचबी कोच लगाने का काम शुरू किया है।’’
वैष्णव के अनुसार, 2014 से 2024 तक 36,933 एलएचबी कोच का निर्माण किया गया जबकि 2004 से 2014 तक 2337 कोच का निर्माण किया गया था।
उन्होंने बताया कि अमृत भारत और वंदे भारत ट्रेनों में उपयोग के लिए उन्नत सेमी-ऑटोमैटिक कपलर भी विकसित किए गए हैं।
सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि कपलिंग, अनकपलिंग और शंटिंग गतिविधियों के दौरान कर्मचारियों को किसी भी दुर्घटना या चोट से बचने के लिए स्पष्ट हाथ सिग्नलिंग प्रक्रियाएं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल ही में पूर्व मध्य रेलवे में रेलवे कर्मचारियों के बीच गलतफहमी के कारण एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई और यह कपलिंग या अनकपलिंग आवश्यकताओं के कारण नहीं थी। इसके अलावा, सुरक्षा अभियान नियमित रूप से चलाए जाते हैं, जिसमें काम के दौरान सतर्क रहने के लिए परामर्श कर्मचारी शामिल हैं।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)