देश की खबरें | आईआईएससी रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी, कृत्रिम मेधा की मदद से कोविड-19 की त्वरित जांच पर कर रहा है काम
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, छह दिसंबर बेंगलुरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के शोधकर्ता रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी तथा कृत्रिम मेधा के इस्तेमाल से रक्त प्लाज्मा में कोविड-19 के बायोमार्कर (किसी भी रोग की गंभीरता के संकेतक) की त्वरित पहचान करने पर काम कर रहे हैं।

रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी एक रासायनिक विश्लेषण तकनीक होती है जिसमें किसी भी रासायनिक ढांचे, अवस्था आदि के बारे में पता लगाया जाता है। यह किसी भी पदार्थ के रासायनिक बंधों के साथ प्रकाश के संपर्क पर आधारित होती है।

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शोधकर्ताओं के दल के मुताबिक कृत्रिम मेधा और गहन अध्ययन के माध्यम से कोविड-19 का पता लगाने की प्रक्रिया स्वत: एवं त्वरित होगी तथा जांच के लिए शरीर से कोई नमूना लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

परियोजना के प्रधान अध्ययनकर्ता एवं आईआईएससी में प्रोफेसर दीपांकर नंदी ने बताया, ‘‘कोविड-19 का त्वरित पता लगाने के लिए नई तकनीकें विकसित करने की तथा बड़े पैमाने पर जांच करने की बहुत आवश्यकता है, इसके साथ ही प्रोद्यौगिकी सस्ती भी होनी चाहिए। ऐसे में रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी प्रभावी साबित हो सकती है।’’

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उन्होंने बताया कि बायोमेडिसिन में रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का बहुत इस्तेमाल होता है, खासकर रोगों का पता लगाने के काम में। दरअसल हर रोग में बायोकेमिस्ट्री में बदलाव आ जाता है।

यह अध्ययन भोपाल स्थित एम्स के सहयोग से किया जा रहा है।

नंदी ने बताया, ‘‘हमारा उद्देश्य संक्रमितों के रक्त प्लाज्मा में बायो मार्कर की पहचान करना है।’’

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