नयी दिल्ली, 21 जुलाई कांग्रेस ने मणिपुर के विषय पर संसद के दोनों सदनों में जारी गतिरोध के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए शुक्रवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार गंभीर है और सिर्फ चर्चा के नाम पर औपचारिकता नहीं निभाना चाहती तो सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद के भीतर वक्तव्य दें तथा दोनों सदनों में विस्तृत चर्चा कराई जाए।
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है तथा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘नरेन्द्र मोदी जी, आपने कल संसद के भीतर बयान नहीं दिया। यदि आप उस घटना से आक्रोशित होते तो कांग्रेस शासित राज्यों के साथ झूठी तुलना करने की बजाय सबसे पहले अपने मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर सकते थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत आपसे अपेक्षा करता है कि आप आज संसद में न केवल एक घटना पर, बल्कि 80 दिनों की हिंसा पर बयान देंगे। मणिपुर को लेकर राज्य और केंद्र में आपकी सरकार बिल्कुल असहाय और संवेदनहीन दिख रही है।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘एक भयावह वीडियो ने प्रधानमंत्री को मणिपुर पर चुप्पी तोड़ने पर मजबूर कर दिया, हालांकि उन्होंने जो कहा वह पूरी तरह से ध्यान भटकाने वाला था और 3 मई के बाद राज्य में सामने आई त्रासदी को संबोधित नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब पता चला है कि इस भयावह अत्याचार की शिकायत 12 जून को राष्ट्रीय महिला आयोग को की गई थी। कोई कार्रवाई नहीं की गई। कल ही मणिपुर के मुख्यमंत्री ने एक टेलीविजन चैनल पर स्वीकार किया कि यह घटना सिर्फ एक उदाहरण है और ऐसी और भी बर्बर घटनाएं हुई हैं। मुख्यमंत्री को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, उन्हें तुरंत पद छोड़ देना चाहिए।’’
रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री को संसद में वक्तव्य देना चाहिए और फिर चर्चा होनी चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए।
राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता प्रमोद तिवारी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार नियम 176 के तहत संक्षिप्त चर्चा कराकर औपचारिकता निभाना चाहती है, जबकि विपक्ष नियम 267 के तहत विस्तृत चर्चा चाहता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार गंभीर है तो उसे सोमवार को 11 बजे ही सदन में नियम 267 के तहत विस्तृत चर्चा करानी चाहिए और प्रधानमंत्री को सदन में वक्तव्य देना चाहिए।’’
तिवारी ने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर न जाने पर एक बात याद आती है कि जब रोम जल रहा था, तब नीरो बांसुरी बजा रहा था। वह विदेश में लोगों को संबोधित कर रहे थे, लेकिन मणिपुर के लिए उनके पास दो शब्द नहीं थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘गृह मंत्री अमित शाह भी 3 दिन मणिपुर में रहकर आए। अब या तो उन्हें इस वीभत्स घटना की जानकारी नहीं दी गई या उन्हें घटना की जानकारी मिली, लेकिन उन्होंने यह जानकारी देश को नहीं दी। ’’
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने मणिपुर की घटना पर बोलते हुए अपनी मंशा स्पष्ट कर दी। अपने ट्रोल्स को इशारा कर दिया कि अब राजस्थान और छत्तीसगढ़ की बात करें। प्रधानमंत्री जी को बोलने से पहले अपनी सरकार के आंकड़े देखने चाहिए, फिर ऐसी कायराना बातें करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी से इस देश को उम्मीद है। आप संविधान में निहित अपनी शक्तियों का उपयोग कर मणिपुर की सरकार को भंग कीजिए।’’
खेड़ा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को राजधर्म निभाना चाहिए और अपने मुख्यमंत्री से भी राजधर्म निभाने के लिए कहना चाहिए।’’
उनका कहना था कि सिर्फ राहुल गांधी ही ‘राजधर्म’ और विपक्ष का धर्म निभा रहे हैं।
राजस्थान में अपराध से जुड़े भाजपा के आरोप पर पलटवार करते हुए खेड़ा ने कहा, ‘‘2021 के एनसीआरबी के आंकड़े कहते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में भाजपा शासित राज्य सबसे ऊपर हैं।’’
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बलात्कारियों के साथ खड़ी नजर आईं? लेकिन भाजपा के नेता और मंत्री कठुआ मामले के समय बलात्कारियों के समर्थन में रैलियां निकाल रहे थे।’’
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है।
राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर मेइती समुदाय द्वारा पहाड़ी जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडरिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) वाले दिन मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गई थी और अभी तक इसमें 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
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