मुंबई, 19 अगस्त महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सोमवार को कहा कि उन्हें दूसरों द्वारा अपनी आलोचना किए जाने की परवाह नहीं है और उन्हें केवल इस बात की परवाह होती है कि सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन के प्रमुख नेता क्या कहते हैं।
पवार की यह टिप्पणी भाजपा की जुन्नार प्रमुख आशा बुचके के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं के एक समूह द्वारा राकांपा प्रमुख के काफिले को काले झंडे दिखाए जाने के एक दिन बाद आई।
पवार ने मुंबई में अपनी जन सम्मान यात्रा के दौरान संवाददाताओं से कहा, ‘‘दूसरे लोग क्या कहते हैं, इससे मुझे कोई लेना-देना नहीं है। मैं शिवसेना के नेता एवं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भाजपा के चंद्रशेखर बावनकुले तथा देवेंद्र फडणवीस जैसे प्रमुख लोगों की बातों पर ध्यान देता हूं।’’
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मांग की थी कि गृह विभाग का जिम्मा संभालने वाले फडणवीस यह स्पष्ट करें कि क्या वह अपने भाजपा कार्यकर्ताओं के व्यवहार को स्वीकार करते हैं।
आशा बुचके ने दावा किया था कि राकांपा आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जुन्नार सीट पर अपने उम्मीदवार को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है।
बुचके ने प्रदर्शनकारियों द्वारा अजित पवार के खिलाफ नारे लगाए जाने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे हमारा गला घोंटने की कोशिश कर रहे हैं... इसलिए हमने आक्रामक रुख अपनाया है।’’
उन्होंने कहा कि रविवार को जुन्नार में पर्यटन विकास पर एक आधिकारिक बैठक आयोजित की गई थी लेकिन इसके लिए भाजपा को आमंत्रित नहीं किया गया।
बुचके ने कहा, ‘‘अगर हम महायुति का हिस्सा हैं, तो बैठक कक्ष में मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री फडणवीस की तस्वीरें क्यों नहीं लगाई गईं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह रक्षाबंधन पर अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले से राखी बंधवाएंगे, अजित पवार ने कहा, ‘‘अगर वह आज मुंबई में होंगी तो मैं ऐसा करूंगा।’’
पवार ने पिछले हफ्ते 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़वाने पर खेद व्यक्त किया था। सुले ने इस चुनाव में जीत दर्ज की थी।
उन्होंने स्वीकार किया था कि उनसे गलती हुई है और कहा था, ‘‘मैं अपनी सभी बहनों से प्यार करता हूं। किसी को भी राजनीति को घर में प्रवेश नहीं करने देना चाहिए। मैंने अपनी बहन के खिलाफ सुनेत्रा को मैदान में उतारकर गलती की। ऐसा नहीं होना चाहिए था। लेकिन राकांपा के संसदीय बोर्ड ने फैसला लिया जिसका मैंने पालन किया। अब मुझे लगता है कि यह गलत था।’’
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