
गुवाहाटी, 4 अप्रैल : असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें इस बात पर ‘शर्मिंदगी’ महसूस हो रही है कि उनके राज्य के एक सांसद ने संसद में वक्फ विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि मुसलमानों को सड़कों पर ईद की नमाज अदा करने की अनुमति नहीं मिली. इसके साथ ही उन्होंने उस बयान के लिए माफी मांगी. शर्मा ने कैबिनेट की बैठक के संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘असम के लोग भी सड़कों पर नमाज अदा नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि राज्य में खूबसूरत मस्जिदें हैं.’’ शर्मा जाहिरा तौर पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का जिक्र कर रहे थे, हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर कोई नाम नहीं लिया.
विधेयक पर चर्चा के दौरान गोगोई ने मुसलमानों को सड़कों पर ईद की नमाज अदा करने से कथित तौर पर रोकने के लिए सरकार की आलोचना की थी और अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर भाजपा की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया था. शर्मा ने कहा, ‘देश भर से लोग मुझे इस बारे में फोन कर रहे हैं. हम शर्मिंदा हैं और मुख्यमंत्री के तौर पर मैं देशभर के लोगों से माफी मांगता हूं.’’ उन्होंने कहा कि मुसलमानों की ओर से ऐसी कोई मांग नहीं की गई कि वे सड़कों पर नमाज अदा करना चाहते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सांसद की टिप्पणी से यह धारणा बनी है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में केवल एक समुदाय ने योगदान दिया. शर्मा ने कहा, ‘‘सांसद ने केवल एक समुदाय की भूमिका को उजागर किया. महात्मा गांधी, गोपीनाथ बोरदोलोई, सुभाषचंद्र बोस या अन्य प्रमुख लोगों का कोई उल्लेख नहीं था.’’ यह भी पढ़े : संभल की शाही जामा मस्जिद में हिंदू अनुष्ठान करने पर तीन लोगों को हिरासत में लिया गया
राज्य में दो और सात मई को दो चरणों में होने वाले पंचायत चुनावों में भाजपा की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा, ‘‘यह सभी चुनावों में अच्छा होगा - पंचायत, राभा हसोंग परिषद, बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद और विधानसभा चुनाव क्योंकि असम के लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बहुत भरोसा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘असम के एक सांसद द्वारा संसद में दिए गए अतिवादी बयान ने हमें दुखी किया है और हम इस पर शर्म महसूस कर रहे हैं.’’ शर्मा ने कहा कि असम के लोग ‘‘समय आने पर ऐसे लोगों को सबक सिखाएंगे.’’