पाक में मानवाधिकार की स्थिति “बेहद चिंताजनक”, अल्पसंख्यकों की कोई धार्मिक स्वतंत्रता नहीं: रिपोर्ट

इस्लामाबाद, एक मई पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि 2019 में पाकिस्तान का मानवाधिकार के मामलों में रिकॉर्ड “बेहद चिंताजनक” रहा, जिसमें राजनीतिक विरोध के सुर पर व्यवस्थित तरीके से लगाम लगाने के साथ ही मीडिया की आवाज भी दबाई गई।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण कमजोरों और खासकर धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति और खराब होगी।

पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया कि धार्मिक अल्पसंख्यक अपनी धार्मिक स्वतंत्रता या मान्यता का लाभ पूरी तरह उठाने में सक्षम नहीं हैं जिसकी गारंटी संविधान के तहत उन्हें दी गई है।

‘2019 में मानवाधिकार की स्थिति’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है, “बहुत से समुदायों के लिये.... उनके धर्मस्थल के साथ भेदभाव किया जाता है, युवतियों का जबरन धर्मांतरण कराया जाता है और रोजगार तक पहुंच में उनके साथ भेदभाव होता है।”

एचआरसीपी ने कहा कि व्यापक तौर पर सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिये पर डाले जाने के कारण समाज का सबसे कमजोर तबका अब न लोगों को दिखता है न उनकी आवाज सुनी जाती है। एचआरसीपी के मानद प्रवक्ता आई ए रहमान ने रिपोर्ट को जारी किये जाने के अवसर पर 2019 में पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड को “बेहद चिंताजनक” करार दिया और कहा कि अभी जारी वैश्विक महामारी के “मानवाधिकारों पर लंबी छाया डालने की उम्मीद है।”

एचआरसीपी के महासचिव हारिस खालिक ने कहा, “बीते साल को, राजनीतिक विरोध के सुर को व्यवस्थित तरीके से दबाने, मीडिया की आजादी को कम करने और आर्थिक व सामाजिक अधिकारों की गंभीरतम अनदेखी के लिये याद किया जाएगा।”

पाकिस्तान द्वारा अपने सबसे कमजोर तबके को बचाने में विफल रहने का जिक्र करते हुए आयोग ने कहा, “बलोचिस्तान में खदानों में बाल श्रमिकों के यौन शोषण की खबरें आईं जबकि हर पखवाड़े बच्चों से दुष्कर्म किये जाने, उनकी हत्या और उन्हें छोड़ दिये जाने की खबरें आम हैं।”

मानवाधिकारों की विफलताओं को रेखांकित करते हुए रिपोर्ट में अहम की खातिर हत्या, अल्पसंख्यक समुदाय की नाबालिग लड़कियों का जबरन धर्मांतरण और ईशनिंदा कानून का लगातार इस्तेमाल लोगों को डराने और बदला लेने के लिये किये जाने का जिक्र है।

सिख और हिंदू लड़कियों के जबरन विवाह से जुड़ी कई खबरें हाल में सामने आई हैं, जिसकी वजह से भारत को पाकिस्तान सरकार के सामने यह मामला उठाना पड़ा।

प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने चुनाव अभियान में कहा था कि उनकी पार्टी का एजेंडा हर धार्मिक समूह को आगे ले जाना है। उन्होंने यह भी कहा था कि हिंदू लड़कियों का जबरन विवाह रोकने के लिये प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

हालांकि हिंदू, सिख और ईसाई समुदाय की लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और विवाह के कई मामले हाल में सामने आए हैं।

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