गुवाहाटी, 29 दिसंबर: असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने अपने सोशल मीडिया मंच पर जातिवादी टिप्पणी वाला एक पोस्ट अपलोड करने पर माफी मांगी है और कहा है कि उनकी टीम ने भगवद् गीता के श्लोक का ‘अशुद्ध अनुवाद’ किया है. शर्मा ने बृहस्पतिवार रात को ‘एक्स’ और फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि वह अपने सोशल मीडिया हैंडल पर हर दिन सुबह भगवद् गीता का एक श्लोक अपलोड करते हैं जो अब तक 668 श्लोक हो चुके हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ हाल में मेरी टीम के एक सदस्य ने अठारहवें अध्याय के 44 वें श्लोक को गलत अनुवाद के साथ पोस्ट कर दिया। जैसे ही मेरे संज्ञान में यह गलती आयी, मैंने तुरंत उस पोस्ट को हटा दिया. यदि हटाये गये इस पोस्ट से किसी की भावना आहत हुई हो तो मैं हृदय से माफी मांगता हूं.’’ मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि असम महापुरूष श्रीमंत शंकरदेव के समाज सुधार आंदोलन के फलस्वरूप एक जातिविहीन समाज की ‘पूर्ण झलक’ पेश करता है.
छब्बीस दिसंबर को शर्मा ने ‘एक्स’ और फेसबुक जैसे अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एवी पोस्ट अपलोड किया था और दावा किया था कि यह गीता के 18 वें अध्याय का 44 वां संन्यास योग श्लोक से है. उस एनीमेटेड वीडियो में कहा गया था, ‘‘ कृषि कार्य, गो-पालन एवं वाणिज्य वैश्यों का आदतन एवं स्वभाविक कर्तव्य है तथा तीन वर्णों-- ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य की सेवा करना शूद्रों का स्वभाविक कर्तव्य है,’’
शर्मा ने यह भी कहा था, ‘‘ भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं ही वैश्यों और शूद्रों के स्वभाविक कर्तव्यों के प्रकारों की व्याख्या की है. ’’ उनके इस पोस्ट से बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। विपक्षी नेताओं ने इसे ‘‘भाजपा की मनुवादी एवं पश्चगामी विचारधारा’ करार देते हुए इसकी आलोचना की. विपक्ष की भारी आलोचना के बाद शर्मा ने अपने सभी सोशल मीडिया मंचों से इस पोस्ट को हटा दिया.
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