नयी दिल्ली, 26 अप्रैल उच्चतम न्यायालय मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने के लिए तैयार हो गया, जिसके तहत कक्षा के अंदर हिजाब पहने रहने की अनुमति देने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।
प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा की इस दलील पर गौर किया कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है।
न्यायमूर्ति रमण ने कहा, “मैं इसे सूचीबद्ध करूंगा। दो दिन इंतजार कीजिए।”
कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया है कि हिजाब पहनना आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने उडुपी के गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें कक्षा के अंदर हिजाब पहने रहने की अनुमति मांगी गई थी।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा था कि मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है।
उच्च न्यायालय ने 15 मार्च को दी व्यवस्था में यह भी कहा कि सरकार के पास पांच फरवरी, 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है। इस आदेश में राज्य सरकार ने उन वस्त्रों को पहनने पर रोक लगा दी है, जिससे स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होती है। मुस्लिम लड़कियों ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
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