नूंह (हरियाणा), 25 सितंबर : देश के सबसे पिछड़े इलाकों में शुमार किए जाने वाले हरियाणा के मुस्लिम बहुल नूंह में राबिया किदवई सामाजिक वर्जनाओं को पीछे छोड़कर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली पहली महिला उम्मीदवार बनी हैं. नूंह एक ऐसा इलाका है, जहां आपको बिना पर्दे के शायद ही कोई महिला दिखाई दे. ऐसे में किसी राबिया का आगे आना और चुनाव लड़ना बहुत बड़ी बात है. गुरुग्राम की 34 वर्षीय व्यवसायी महिला को अपने सामने आने वाली चुनौतियों का एहसास है, लेकिन वह यह भी जानती हैं कि वह बदलाव का प्रतीक बनकर उभरी हैं और यही कारण है कि उन्हें लगता है कि हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों में लोग उनके लिए वोट करेंगे.
राबिया पूर्व राज्यपाल अखलाक-उर-रहमान किदवई की पोती हैं और उन्हें आम आदमी पार्टी (आप) ने उम्मीदवार बनाया है. उनके खिलाफ कांग्रेस के दिग्गज विधायक आफताब अहमद और इंडियन नेशनल लोकदल के ताहिर हुसैन हैं, जिनका स्थानीय लोगों पर अच्छा खासा प्रभाव है. दिग्गज उम्मीदवारों से मुकाबला होने के अलावा, उन्हें अन्य चुनौतियों जैसे गहरी जड़ें जमाए हुए लैंगिक पूर्वाग्रह, नूंह में उनके लिए बाहरी व्यक्ति होने का ठप्पा और मतदाताओं में जागरूकता व शिक्षा के अभाव से भी पार पाना है. यह भी पढ़ें : मेक इन इंडिया के 10 वर्ष पूरे होने पर पीएम मोदी बोले, ‘हम सब मिलकर विकसित भारत बनाएंगे’
किदवई कहती हैं कि वह अपने परिवार की राजनीतिक विरासत और खुद के महिला होने के नाते चुनावी लड़ाई के लिए तैयार हैं. मतदान का दिन नजदीक आने के साथ ही वह अपने और पार्टी के लिए वोट मांगने में व्यस्त हैं. उन्होंने ‘पीटीआई-’ को दिए साक्षात्कार में कहा, "यहां की महिलाएं मुझे बताती हैं कि वे अपनी समस्याओं को लेकर शायद ही कभी किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यालय गई हैं. हालांकि लैंगिक भेदभाव की स्थिति अब वैसी नहीं रही जैसी दशकों पहले हुआ करती थी, लेकिन उन्होंने मुझे बताया कि अब भी किसी महिला का चुनाव लड़ना या किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यालय में अपनी समस्याएं या अनुरोध लेकर जाना बहुत आम बात नहीं है."