चंडीगढ़, 29 दिसंबर राष्ट्रीय राजधानी के समीप नूंह में धार्मिक जुलूस पर हमले में छह लोगों की मौत तथा हरियाणा के वाणिज्यिक एवं प्रौद्योगिकी केंद्र गुरूग्राम समेत इस क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति, इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी आदि राज्य की इस साल की कुछ बड़ी घटनाओं में शामिल रहीं।
पिछले साल हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) -जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) गठबंधन सरकार को एक झटका तब लगा जब पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत नौकरियों को स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने के हरियाणा सरकार के कानून को खारिज कर दिया।
इस सत्तारूढ़ गठबंधन की कनिष्ठ सहयोगी जेजेपी ने इस आरक्षण पर जोर दिया था। दोनों ही घटक दल किसी भी सूरत में स्पष्ट रूप से यह बताने में हिचकते रहे कि वे अगला चुनाव मिलकर लड़ेंगे या नहीं।
नूंह हिंसा से महीनों पहले राज्य प्रशासन को पड़ोसी राजस्थान के दो मुस्लिम व्यक्तियों की मौत को लेकर आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा। हरियाणा के भिवानी जिले में एक जली हुई कार से इन दोनों के शव मिले थे।
इन दोनों के रिश्तेदारों ने उनकी मौत के लिए गौरक्षकों तथा उन पर समय से कार्रवाई नहीं करने को लेकर हरियाणा पुलिस को जिम्मेदार ठहराया था। पुलिस ने इस आरोप का खंडन किया था।
जुलाई में नूंह में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में निकाले गये जुलूस पर हमला किया गया जिसमें दो होमगार्ड जवान समेत पांच लोगों की जान चली गयी । उसके बाद छिटपुट हिंसा हुई। गुरूग्राम में एक मस्जिद में हमला कर एक मौलवी की हत्या कर दी गयी।
जिस क्षेत्र में जुलूस पर हमला किया था, वहां अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाये जाने पर उच्च न्यायालय ने उसका स्वत: संज्ञान लिया और सवाल किया कि क्या यह ‘जातीय सफाये’ की कार्रवाई है।
बाद में नूंह हिंसा से जुड़े चार मामलों में कांग्रेस विधायक मम्मन खान को गिरफ्तार किया गया। उनकी पार्टी ने राज्य सरकार पर ‘राजनीतिक रूप से परेशान करने एवं निशाना बनाने’ का आरोप लगाया।
नूंह हिंसा से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के बीच तनावपूर्ण संबंध की ओर भी लोगों का ध्यान गया।
विज ने नूंह में तनाव पैदा होने की खुफिया सूचना होने से इनकार किया और संवाददाताओं से कहा कि सीआईडी विभाग का प्रभार संभाल रहे मुख्यमंत्री के पास ही ‘सारी सूचनाएं’ होती हैं।
अक्टूबर में विज ने उनके स्वास्थ्य विभाग में मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों द्वारा ‘दखल’ देने पर नाखुशी भी प्रकट की तथा कई सप्ताह तक फाइलों को मंजूरी नहीं दी।
भाजपा और जेजेपी के बीच मतभेद के संकेत भी सामने आये तथा दोनों ही दलों के नेताओं ने समय-समय पर एक दूसरे पर निशाना साधा।
निजी क्षेत्र में नौकरियों में हरियाणावासियों के लिए आरक्षण के खिलाफ उच्च न्यायालय का फैसला खासकर जेजेपी के लिए एक झटका था जिसने इसे एक चुनावी मुद्दा बनाया था। उच्च न्यायालय ने आरक्षण को ‘असंवैधानिक’ करार दिया।
खेल-कूद का केंद्र समझे जाने वाले हरियाणा ने एक बार फिर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। हरियाणा के खिलाड़ियों ने चीन में एशियाई खेलों में देश को मिले कुल 107 पदकों में से 30 जीते।
हालांकि हरियाणा के पहलवान, खिलाड़ियों के कथित यौन शोषण को लेकर रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के तत्कालीन अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर कई सप्ताह तक प्रदर्शन का हिस्सा रहे। यह विवाद अब भी जारी है।
जींद और कैथल में इस आरोप को लेकर जनाक्रोश रहा कि कई लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया। इन मामलों में दो सरकारी विद्यालयों के प्राचार्यों की गिरफ्तारी की गयी।
इस साल के प्रारंभ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पूर्व इंडिया हॉकी कैप्टर संदीप सिंह से खेल विभाग अपने हाथों में ले लिया। सिंह पर चंडीगढ़ पुलिस ने यौन उत्पीड़न के सिलसिले में 2022 में एक मामला दर्ज किया था। हालांकि मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल से सिंह को बर्खास्त करने की विपक्ष की मांग नहीं मानी।
जुलाई में बाढ़ एवं वर्षाजनित घटनाओं में करीब 50 लोगों की मौत हो गयी। नवंबर में यमुनानगर में जहरीली शराब पीने से करीब 20 लोगों ने जान गंवायी।
हरियाणा और आप शासित दिल्ली के बीच राष्ट्रीय राजधानी में बाढ़ को लेकर वाकयुद्ध हुआ। अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस स्थिति के लिए हरियाणा से यमुना में अतिरिक्त पानी छोड़े जाने को जिम्मेदार बताया। हरियाणा ने इस आरोप का खंडन किया।
पराली जलाने को लेकर भी हरियाणा का दिल्ली के साथ वाकयुद्ध रहा। आप ने हरियाणा पर दोष मढ़ा लेकिन हरियाणा ने आप शासित पंजाब पर अंगुली उठायी। पराली जलाने से राष्ट्रीय राजधानी में हर साल प्रदूषण बढ़ जाता है।
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