देश की खबरें | विनाशकारी प्रभावों के साक्ष्य के बावजूद ग्रेट निकोबार परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा: रमेश

नयी दिल्ली, आठ नवंबर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘ग्रेट निकोबार एकीकृत विकास परियोजना’ को आक्रामक तरीके से ‘‘आगे बढ़ा’’ रहे हैं जबकि इसके ‘‘विनाशकारी’’ पारिस्थितिकी और मानवीय प्रभावों के स्पष्ट साक्ष्य हैं।

पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री रमेश इस बात पर जोर देते रहे हैं कि ‘ग्रेट निकोबार द्वीप अवसंरचना’ परियोजना का वर्तमान डिजाइन ‘‘अनावश्यक रूप से पारिस्थितिकी को खतरे में डालता है।’’ कांग्रेस नेता इस परियोजना को रोकने और इसकी समीक्षा करने की मांग करते रहे हैं।

एक पत्रकार द्वारा ग्रेट निकोबार एकीकृत विकास परियोजना पर लिखे गए लघु निबंध का हवाला देते हुए रमेश ने कहा, ‘‘नॉन बायलॉजिकल प्रधानमंत्री इस परियोजना को इसके विनाशकारी पारिस्थितिक और मानवीय प्रभावों के स्पष्ट और बढ़ते सबूतों के बावजूद आक्रामक तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं।’’

रमेश ने मीडिया रिपोर्ट को साझा करते हुए कहा, ‘‘ उम्मीद है कि इस लघु निबंध से असाधारण रूप से समृद्ध जैव विविधता वाले पारिस्थितिकी तंत्र के अकारण विनाश पर ऐसी और अधिक क्षेत्रीय रिपोर्ट सामने आएंगीं।’’

रमेश और पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव के बीच इस परियोजना के संबंध में कई बार पत्राचार हुआ है।

यादव को लिखे पत्र में रमेश ने ग्रेट निकोबार द्वीप अवसंरचना परियोजना को दी गई पर्यावरणीय मंजूरी की पुनः समीक्षा करने के लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की विश्वसनीयता, संरचना और निष्कर्षों पर भी सवाल उठाया था।

यादव को लिखे 10 पृष्ठों के पत्र में रमेश ने कहा था कि अगर कोई इस परियोजना के सामरिक और रक्षा महत्व को स्वीकार कर भी ले तो भी इससे द्वीप के आदिवासी समुदायों और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले इसके प्रभाव पर चर्चा रुक नहीं जाएगी।

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