नयी ल्ली 1 जुलाई : सरकार ने शुक्रवार को कहा कि भारत का मोबाइल सेवा बाजार मांग और आपूर्ति के जरिए संचालित होता है, जिसमें तीन निजी दूरसंचार कंपनियां और एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी शामिल है तथा ये कंपनियां ग्राहकों को वैश्विक स्तर पर सबसे कम शुल्क दरों की पेशकश करती हैं.सरकार ने हाल में मोबाइल शुल्क दरों में की गई बढ़ोतरी के बारे में ‘‘भ्रामक दावों’’ को खारिज कर दिया.केंद्रीय संचार मंत्रालय का यह बयान कांग्रेस द्वारा तीन प्रमुख कंपनियों द्वारा घोषित मोबाइल शुल्क बढ़ोतरी को लेकर सरकार की आलोचना करने के बाद आया है.कांग्रेस ने सवाल उठाया था कि दूरसंचार कंपनियों को बिना किसी निगरानी और विनियमन के एकतरफा रूप से दरें बढ़ाने की अनुमति कैसे दी जा सकती है.
कांग्रेस ने दूरसंचार क्षेत्र की तीन प्रमुख कंपनियों द्वारा शुल्क दर में बढ़ोतरी किए जाने के बाद शुक्रवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कटाक्ष किया कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल का जनता के लिए उसके ‘मित्रवादी पूंजीवाद’ का ‘प्रसाद’ है.
हाल में तीन प्रमुख दूरसंचार कंपनियों रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने ढाई साल के अंतराल के बाद शुल्क वृद्धि की घोषणा की. सबसे पहले सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस जियो ने यह कदम उठाया. यह भी पढ़े: त्रिपुरा में HIV से 47 छात्रों की मौत, 828 छात्र संक्रमित, राज्य में दिखा ड्रग एडिक्शन का खौफनाक रूप
कांग्रेस के दावों को खारिज करते हुए मंत्रालय ने अपने बयान में तर्क दिया कि पिछले दो दशकों से भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा मोबाइल सेवाओं की दरों को नियंत्रित रखा गया है.मंत्रालय ने कहा कि सरकार की नीतियों और नियामक द्वारा अधिसूचित नियामक ढांचे के परिणामस्वरूप ‘‘भारत में मोबाइल सेवाओं की लागत उपभोक्ताओं के लिए सबसे कम हो गई है.’’