नयी दिल्ली, तीन जुलाई बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया जून, 2022 में सालाना आधार पर चार प्रतिशत बढ़कर 1,32,432 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। जून, 2021 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 1,27,306 करोड़ रुपये था।
पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेशन (प्राप्ति) पोर्टल से यह जानकारी मिली है।
जून, 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया पिछले महीने यानी मई, 2022 की तुलना में भी बढ़ा है। मई में यह 1,30,139 करोड़ रुपये था।
बिजली उत्पादकों तथा डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था।
जून, 2022 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 1,15,128 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले समान महीने में 1,04,095 करोड़ रुपये थी। मई, 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,07,636 करोड़ रुपये था।
बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं।
बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू की है। इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है। केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कोविड-19 महामारी की वजह से कुछ राहत दी है। भुगतान में देरी के लिए डिस्कॉम पर दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया गया है।
सरकार ने मई, 2020 में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं। बाद में सरकार ने इस पैकेज को बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये और उसके बाद 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया।
आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, झारखंड और राजस्थान की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है।
भुगतान की मियाद समाप्त होने के बाद जून, 2022 तक डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,15,128 करोड़ रुपये था। इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 53.17 प्रतिशत है।
वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की जेनको का बकाया 22.4 प्रतिशत है।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 5,441.95 करोड़ रुपये वसूलने हैं। उसके बाद डीवीसी का बकाया 3,885.19 करोड़ रुपये है। एनपीसीआईएल का बकाया 3,272.24 करोड़ रुपये है।
निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 21,625.02 करोड़ रुपये है।
वहीं नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों का बकाया जून, 2022 तक 22,432.27 करोड़ रुपये था।
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