गुवाहाटी, 29 अक्टूबर गौहाटी उच्च न्यायालय ने एनआरसी के राज्य समन्वयक से कहा कि वह इस बात को लेकर एक व्यापक हलफनामा दायर करें कि कैसे अयोग्य व्यक्तियों के नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में शामिल हो गए।
अदालत ने एनआरसी राज्य समन्वयक से तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने को कहा और मामला उसके तुरंत बाद सूचीबद्ध कर दिया।
नलबाड़ी जिला विदेश अधिकरण द्वारा विदेशी घोषित करने के खिलाफ रहीमा बेगम की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोजीत भुइयां और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की पीठ ने कहा कि उन्होंने देखा है कि नियमों का उल्लंघन करके कई नाम एनआरसी में शामिल किए गए हैं।
आदेश में कहा गया है कि असम के राज्य समन्वयक, एनआरसी, एक व्यापक हलफनामा दायर करें और रिकॉर्ड पर वह स्थिति और जरूरी ब्यौरा लाएं जिसके तहत गैर पात्र लोगों ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी में प्रवेश करने के लिए रास्ता बनाया जो एनआरसी में शामिल होने के लिए कानूनी तौर पर हकदार नहीं थे।
यह भी पढ़े | Rajasthan Government: राजस्थान सरकार का बड़ा ऐलान, स्कूल फीस में 30 से 40 फीसदी तक कटौती.
पीठ ने 19 अक्टूबर के आदेश में कहा कि यह हलफनामा सिर्फ नलबाड़ी जिले तक सीमित नहीं होगा, बल्कि इसमें राज्य के सभी अन्य जिलों का ब्यौरा होगा।
यह आदेश हाल में अपलोड किया गया है।
पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले में अहमियत का एक मुद्दा देखा गया है। यह एकमात्र उदाहरण नहीं है। हमने यह कई मामलों में देखा है और इसी तरह के मुद्दों को रिकॉर्ड किया है।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता का नाम एनआरसी में आ गया जबकि नलबाड़ी के पुलिस अधीक्षक (सीमा) के संदर्भ के आधार पर उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई थी और चल रही थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह से नाम का शामिल होना कानून के खिलाफ है।
रहीमा बेगम को नलबाड़ी जिले की विदेश अधिकरण संख्या तीन ने आठ नवंबर 2019 को विदेशी घोषित किया था और उन्होंने इस साल 14 अगस्त को गौहाटी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी थी।
एनआरसी की अंतिम सूची 31 अगस्त 2019 में प्रकाशित हुई थी जिसमें 19,06,657 लोगों के नाम नहीं थे। कुल 3,30,27,661 आवेदकों में से 3,11,21,004 लोगों के नाम शामिल किए गए थे।
एनआरसी के नियमों के मुताबिक,विदेशी घोषित किए जा चुके, 'डी' (संदेहास्पद) मतदाता और जिनके खिलाफ विदेश अधिकरण में मामले लंबित हैं, उन्हें और उनके वंशजों को नागरिक पंजी में शामिल नहीं किया जा सकता है।
एनआरसी राज्य समन्वयक हितेश देव सरमा ने 13 अक्टूबर को सभी जिला उपायुक्तों एवं जिला नागरिक पंजीकरण के रजिस्ट्रारों (डीआरसीआर) को 13 अक्टूबर को पत्र लिखकर उन्हें निर्देश दिया था कि वे एनआरसी की सूची में से "अयोग्य" लोगों और उनके वंशजों के नामों को हटाने के लिए "मौखिक आदेश" जारी करें।
पत्र में इस बात का जिक्र नहीं था कि कितनों लोगों को एनआरसी की अंतिम सूची से हटाया जाएगा।
सूत्रों ने दावा किया था कि करीब 10,000 लोगों की पहचान की गई है जिनके नाम "गलत तरीके से" अंतिम एनआरसी में "शामिल" किए गए हैं और अब उन्हें सूची से हटाया जाएगा।
एनआरसी की अंतिम सूची को पिछले साल सार्वजनिक किया गया था लेकिन भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने इसे अबतक अधिसूचित नहीं किया है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)