नयी दिल्ली, 28 मार्च महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत मजदूरी को संशोधित किया गया है और अलग अलग राज्यों में मेहनताने में चार से 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
एक अधिसूचना के अनुसार, अब योजना के तहत अकुशल श्रमिकों को देश में सबसे ज्यादा 374 रुपये प्रति दिन की मजदूरी हरियाणा में मिलेगी जबकि सबसे कम मेहनताना उन्हें अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में मिलेगा जहां इस योजना के तहत काम करने पर मजदूरों को 234 रुपये प्रति दिन की मजदूरी मिलेगी।
सिक्किम की तीन पंचायतों- ग्नथांग, लाचुंग और लाचेन में मजदूरी दर 374 रुपये प्रतिदिन है।
लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लगे होने की वजह से निर्वाचन आयोग की मंजूरी के बाद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने योजना के तहत मिलने वाली मजदूरी में बदलाव की अधिसूचना जारी की।
योजना के तहत 2023 की मजदूरी दरों पर बढ़ोतरी की गई है। योजना का मकसद ग्रामीण परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन का रोजगार देकर उनकी रोज़गार की सुरक्षा को बढ़ाना है।
अधिसूचना के मुताबिक, गोवा में मजदूरी दर में 34 रुपये की बढ़ोतरी की गई है जो देश में सबसे ज्यादा है और अब राज्य में प्रतिदिन का मेहनताना 356 रुपये हो गया है। वहीं, आंध्र प्रदेश में प्रतिदिन 28 रुपये की बढ़ोतरी की गई और मजदूरी दर अब 300 रुपये है।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने सात रुपये का इज़ाफा किया है जो सबसे कम है तथा अब मनरेगा के तहत काम करने पर श्रमिक को प्रति दिन 237 रुपये मिलेंगे।
पश्चिम बंगाल ने मजदूरी में 13 रुपये की बढ़ोतरी की है जिसके बाद राज्य में मेहनताना 250 रुपये हो गया है। इसी तरह तमिलनाडु ने मजदूरी 25 रुपये बढ़ाकर 319 रुपये, तेलंगाना ने 28 रुपये का इज़ाफा कर 300 रुपये और बिहार ने 17 रुपये की वृद्धि कर मेहनताना 228 रुपये कर दिया है।
बढ़ोतरी के बाद मजदूरी के मामले में हरियाणा शीर्ष पर है, हालांकि उसने करीब चार प्रतिशत का इजाफा किया है।
कुल मिलाकर, बढ़ोतरी चार से 10 प्रतिशत के बीच है। अधिसूचना में उल्लिखित आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक और तेलंगाना में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
इस साल की शुरुआत में संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में, ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसद की स्थायी समिति ने कहा था कि राज्यों में मनरेगा मजदूरी में भिन्नता काफी ज्यादा है।
इसने यह भी कहा था कि मजदूरी अपर्याप्त है और जीवनयापन की बढ़ती लागत के अनुरूप नहीं है।
समिति ने न्यूनतम मजदूरी पर केंद्र सरकार की अनूप सत्पथी समिति की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें सिफारिश की गई थी कि मनरेगा के तहत मजदूरी 375 रुपये प्रति दिन होनी चाहिए।
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