नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण को तत्काल हटाने तथा उन पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश देने की मांग की।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ को रूडी ने बताया कि वह राजमार्गों पर अतिक्रमण और अनधिकृत कब्जे हटाने से संबंधित एक लंबित मामले में हस्तक्षेप करना चाहते हैं। वह पीठ के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश हुए थे।
पीठ ने रूडी को ऑनलाइन उपस्थित होने की अनुमति देते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर उनकी बात सुनेगी।
शीर्ष अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को 27 अगस्त को शीर्ष अदालत द्वारा जारी निर्देशों पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया।
न्यायमूर्ति ओका ने नटराज से कहा, “आपको राजमार्गों से अतिक्रमण हटाने और सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के मुद्दे पर न्यायमित्र स्वाति घिलडियाल द्वारा प्रस्तुत नोट पर अपना जवाब दाखिल करना चाहिए।”
इस मामले की अगली सुनवाई चार नवंबर को तय की गई है।
अपने हस्तक्षेप आवेदन में रूडी ने कहा कि वह राष्ट्रीय राजमार्गों, विशेषकर एनएच-31 और एनएच-722, जो बिहार के सारण से होकर गुजरते हैं, उनपर अनधिकृत अतिक्रमणों को लेकर चिंतित हैं। वह सारण से लोकसभा सदस्य हैं।
उन्होंने कहा कि इन अतिक्रमणों से न सिर्फ सड़क सुरक्षा प्रभावित होती है, बल्कि बुनियादी ढांचे की दीर्घायु, वाहनों की दक्षता और सार्वजनिक सुविधा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
रूडी ने कहा कि ये मुद्दे उनके सारण लोकसभा क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं, बल्कि एक बड़ी राष्ट्रीय समस्या है।
शीर्ष अदालत ने 27 अगस्त को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को सभी राष्ट्रीय राजमार्गों के लगातार और नियमित निरीक्षण के लिए उचित टीम का गठन करने का निर्देश दिया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं अतिक्रमण तो नहीं है।
न्यायालय ने कहा था कि प्रत्येक टीम को अलग-अलग राजमार्गों के एक विशेष हिस्से की जिम्मेदारी दी जाए और यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र बनाया जाए कि निरीक्षण दल अतिक्रमण मिलने के बाद अतिक्रमण हटाने के लिए अधिकृत सक्षम प्राधिकारी को रिपोर्ट करें।
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