नयी दिल्ली, 14 जून दुनिया के उभरते बाजारों में नकदी की बेहतर स्थिति के चलते पूंजी प्रवाह बढ़ने के साथ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय पूंजी बाजारों में जून में अब तक शुद्ध रूप से 20,574 करोड़ रुपये की पूंजी डाली है।
ताजा डिपोजिटरी आंकड़ों के अनुसार एक जून से 12 जून के बीच एफपीआई ने शेयर बाजारों में 22,840 करोड़ रुपये की पूंजी डाली। वहीं बांड खंड से 2,266 करोड़ रुपये की पूंजी निकाली गई। इस प्रकार, शुद्ध रूप से 20,574 करोड़ रुपये का पूंजी प्रवाह हुआ।
इससे पहले, एफपीआई लगातार तीन महीने शुद्ध बिकवाल बने रहे। उन्होंने मई में 7,366 करोड़ रुपये, अप्रैल में 15,403 करोड़ रुपये और मार्च में रिकार्ड 1.1 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी।
ग्रो के सह-संस्थापक और मुख्य परिचालन अधिकारी हर्ष जैन ने कहा, ‘‘दुनिया भर की सरकारें अर्थव्यवस्थाओं को गति देने के लिये उपाय कर रही हैं, अतिरिक्त नोटों की छपाई भी हो रही है जिससे नकदी बढ़ी है। इससे भारत समेत उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह बढ़ रहा है।’’
हालांकि, मॉर्निंग स्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि जून के दूसरे सप्ताह में पहले सप्ताह के मुकाबले एफपीआई प्रवाह कम रहा है।
उन्होंने कहा,‘‘ पिछले सप्ताह रिलायंस इंडस्ट्रीज के राइट इश्यू और उदय कोटक के कोटक बैंक में 2.8 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री से विदेशी निवेशक आकर्षित हुए थे’’
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘फिलहाल किसी प्रकार के संकेत के अभाव में एफपीआई कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत को लेकर सतर्क रुख अपना सकते हैं।’’
उन्होंने आगे कहा कि एफपीआई ने भारत जैसे उभरते बाजारों में निर्धारित आय प्रतिभूतियों में निवेश करने के बजाय अपना ध्यान सोना और अमेरिकी डालर जैसे सुरक्षित निवेश विकल्पों की तरफ देना शुरू किया है। उनका मानना है कि इन बाजारों में जोखिम का स्तर ऊंचा है जबकि रिटर्न उसके मुताबिक ऊंचा नहीं है।
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