देश की खबरें | पिछले पांच-छह वर्षों में पहली बार मार्च में एलओसी पर रही शांति, नहीं चली एक भी गोली :थल सेना प्रमुख

नयी दिल्ली, 25 मार्च थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने बृहस्पतिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में करीब पांच-छह वर्षों के दौरान पहली बार मार्च में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति रही क्योंकि इस महीने एक भी गोली नहीं चली।

उन्होंने क्षेत्र में भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के संघर्ष विराम का पूरी तरह से पालन करने का हाल ही में वादा करने का जिक्र करते हुए यह बात कही।

हालांकि, थल सेना प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान की ओर आतंकवादी शिविर और आतंकी ढांचे अब भी बरकरार हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यदि पड़ोसी देश आतंकवाद का समर्थन करना बंद नहीं करता है तो चीजें सामान्य नहीं हो सकती।

इंडिया इकोनॉमिक कॉनक्लेव में जनरल नरवणे ने कहा कि वह इस बारे में आशावादी थे कि संघर्ष विराम होगा क्योंकि पाकिस्तानी सेना भी इसके लिए सहमत थी।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह सूचित करते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि पूरे मार्च महीने में, एक अकेली घटना को छोड़ कर नियंत्रण रेखा पर एक भी गोली नहीं चली। करीब पांच-छह साल में यह पहला मौका है जब एलओसी पर शांति रही। ’’

गौरतलब है कि पिछले महीने भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं ने जम्मू कश्मीर में एलओसी पर 2003 के संघर्ष विराम समझौते का पालन करने के प्रतिबद्धता दोहराई थी।

जनरल नरवणे ने टाइम्स नेटवर्क द्वारा आयोजित सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारा मूल मुद्दा यह है कि उन्हें आतंकवाद को रोकने का समर्थन करना होगा। जबतक वे इसे नहीं रोकेंगे, चीजें सामान्य नहीं हो सकती।’’

यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान को अचानक ही संघर्ष विराम के लिए राजी करने में किस चीज ने प्रेरित किया होगा, जनरल नरवणे ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच अतीत में हुए युद्धों का कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला और पाकिस्तान की अपनी खुद की आंतरिक समस्याएं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इतने वर्षों में उन्होंने (पाकिस्तान ने) यह महसूस किया कि बदलाव करने का वक्त आ गया है और इस बात ने उन्हें शांति कायम करने के लिए हाथ बढ़ाने को प्रेरित किया। ’’

थल सेना प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह आशावादी थे कि संघर्ष विराम होगा और उन्होंने पाकिस्तान के थल सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की हालिया टिप्पणियों का जिक्र किया।

जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘...बहुत अहम बात यह है कि दोनों पक्षों के डीजीएमओ के बीच समझौता हुआ है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए बिल्कुल, पाकिस्तानी थल सेना इससे सहमत है और यदि वह ऐसा चाहती है तो परिणाम के लिए आशावदी होने का हर कारण मौजूद है। ’’

भारत-पाक संबंधों के बारे में बाजवा ने हाल ही में कहा था, ‘‘अतीत को दफन करने का वक्त आ गया है।’’

जनरल नरवणे ने पाकिस्तान की ओर आतंकवादी ढांचे की मौजूदगी के बारे में कहा कि इस बारे में भारत के पास खुफिया सूचना है।

उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवादी ढांचे और शिविर मौजूद हैं। हमारे पास उन शिविरों, ठिकानों और घुसपैठ की फिराक में तैयार तथा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे आतंकवादियों की संभावित संख्या के बारे में विस्तृत खुफिया सूचना है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान किसी मजबूरी में आकर संघर्ष विराम के लिए राजी हुआ, थल सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हां, ऐसा संभव है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें इंतजार करना और देखना होगा। जब बर्फ पिघलेगी और दर्रे खुलेंगे तब भी यदि स्थिति सामन्य रहती है तो हम भविष्य में अच्छी स्थिति रहने की उम्मीद कर सकते हैं। ’’

जनरल नरवणे ने पाकिस्तान की मजबूरियों के रूप में अफगानिस्तान से लगी उसकी सीमा पर स्थिति और आतंकवाद रोधी वित्तीय कार्रवाई बल (एफएटीएफ) की सिफारिशों का जिक्र किया।

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