नयी दिल्ली/चंडीगढ़/गाजियाबाद, 11 दिसंबर दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसान अपने तंबू और अन्य संरचनाओं को हटाकर और साजो-सामान को समेटकर शनिवार को ट्रैक्टर ट्रॉलियों और अन्य वाहनों में सवार होकर नाचते- गाते अपने घरों की ओर रवाना हुए। पड़ोसी राज्यों में पहुंचने पर उनका माला पहनाकर तथा मिठाइयां खिलाकर जोरदार स्वागत किया गया।
किसानों के घर लौटने के क्रम में शनिवार को फूलों से लदी ट्रैक्टर ट्रॉलियों के काफिले 'विजय गीत' बजाते हुए सिंघू धरना स्थल से बाहर निकले। इस दौरान किसानों की भावनाएं हिलोरें मार रही थीं। सिंघू बॉर्डर छोड़ने से पहले, कुछ किसानों ने 'हवन' किया, तो कुछ ने अरदास तथा ईश्वर को धन्यवाद करके पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश स्थित अपने-अपने घरों की ओर रवाना हुए।
शनिवार की शाम तक अधिकतर किसानों ने 5-6 किलोमीटर में फैले सिंघू बॉर्डर विरोध स्थल पर कुछ तंबू हटाकर इसे साफ कर दिया।
इसी प्रकार गाजीपुर बॉर्डर पर भी तंबू एवं अन्य संरचनाओं को उखाड़ने का सिलसिला पूरे जोरशोर से जारी था। हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि यह प्रदर्शन स्थल 15 दिसम्बर तक ही पूरी तरह खाली हो पाएगा।
टिकरी बॉर्डर पर भी आंदोलन स्थल को लगभग खाली कर दिया गया है। बाहरी जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बैरिकेड्स हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
दिल्ली-करनाल-अंबाला और दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ-साथ अन्य मार्गों पर भी कई जगहों पर लोग एकत्र हुए और किसानों को माला पहनाकर और मिठाइयां खिलाकर स्वागत किया।
शंभू बॉर्डर (पंजाब-हरियाणा सीमा) पर एक विमान से किसानों पर फूलों की वर्षा की गई।
एक किसान नेता के अनुसार, कहा जाता है कि विमान की व्यवस्था एक अनिवासी भारतीय (एनआरआई) द्वारा की गई थी।
भूपेन्द्र सिंह (40) ने कहा, ‘‘मेरे बच्चे अत्यधिक उत्साहित हैं। हम अंतत: एक साल बाद एक-दूसरे से मिल पाएंगे। मैं बहुत खुश हूं। फोन पर वे अक्सर पूछते थे, पापा घर कब आओगे?’ लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं किसानों की जीत के बाद घर लौट रहा हूं, जो मेरे लिए गौरव का क्षण है।’’ उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिला निवासी भूपेन्द्र सिंह अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली से अपने अन्य गांव वालों के साथ घर लौट रहे थे।
ट्रैक्टर-ट्राली एवं अन्य वाहनों के काफिले के बड़े होने के कारण दिल्ली-हरियाणा राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्य सड़कों पर कई जगहों पर यातायात जाम की स्थिति देखी गई।
पंजाब के मुक्तसर जिले के दो किसानों की हरियाणा के हिसार में ट्रक की चपेट में आने से मौत हो गई, जब वे टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन स्थल से घर लौट रहे थे। पुलिस ने बताया कि हिसार के धांदूर गांव में हुई इस दुर्घटना में एक किसान गंभीर रूप से घायल हो गया।
गाजीपुर आंदोलन स्थल पर किसानों को संबोधित करते हुए, स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने चार हिंदू ‘धामों’ (पवित्र स्थलों) की तुलना चार सीमा विरोध स्थलों -टिकरी, सिंघू, गाजीपुर और शाहजहांपुर (दिल्ली-जयपुर सीमा) से की।
उन्होंने कहा, ‘‘अब हम नहीं बोलेंगे लेकिन किताबें और इतिहास बोलेगा। यह पूरा देश बोलेगा। आज सिर्फ यह याद रखने का दिन है कि पिछले एक साल से हमारे देश में ‘चार धाम’ का अर्थ बदल गया है।
यादव ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु के लोग आते थे और कहते थे कि वे चार स्थानों की यात्रा करना चाहते हैं ... सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और शाहजहांपुर बॉर्डर .... ये (आंदोलन स्थल) चार धाम बन गए थे।’’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों के सफल प्रयास की प्रशंसा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘धैर्य, साहस और एकता का कोई विकल्प नहीं है। परस्पर भाईचारे और एकता से ही देश आगे बढ़ सकता है। किसान भाइयों की एकता ही सबसे बड़ी ताकत थी। ऐतिहासिक विजय के बाद आज से अपने घर लौट रहे किसान बंधुओं की मजबूत इच्छाशक्ति और उत्साह को मेरा सलाम।’’
एक साल से राजमार्ग बंद होने के कारण परिशानियों का सामना कर रहे अनगिनत स्थानीय निवासियों और दुकानदारों ने राहत की सांस ली है। कबाड़ियों के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि किसानों के प्रदर्शन स्थल छोड़ने के बाद वहां उन्हें बांस-बल्ले, तिरपाल, प्लास्टिक और लकड़ी के कुंदे उन्हें वहां से मिले।
हालांकि, किसानों के आंदोलन समाप्त होने से कुछ गरीब बच्चों के मन में रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है। ये बच्चे किसानों के लंगर में खाना खाते थे और फुटपाथ की बजाय किसानों के तंबू में सोने लगे थे।
उधर, पंजाब और हरियाणा में सिंघू बॉर्डर से लौटे किसानों की घर-वापसी पर मिठाइयों और फूल-मालाओं से जोरदार स्वागत किया गया। दिल्ली-करनाल-अम्बाला और दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्गों पर ही नहीं, बल्कि राजकीय राजमार्गों पर अनेक स्थानों पर किसानों के परिजन अपने गांव वालों के साथ किसानों का स्वागत करते नजर आये। इस अवसर पर लड्डू-बर्फी भी बांटे जा रहे हैं।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर टॉल प्लाजा और अन्य स्थलों पर किसानों के स्वागत की तैयारियां की गई हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा का मुख्यालय शनिवार को वीरान नजर आ रहा था। इस बीच किसान नेताओं ने कहा कि वे 15 जनवरी को एक बार फिर बैठक करके यह समीक्षा करेंगे कि सरकार ने उनकी मांग पूरी की या नहीं।
मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान, तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में और इन कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर पिछले साल 26 नवंबर को बड़ी संख्या में यहां एकत्र हुए थे।
संसद में गत 29 नवम्बर को इन कानूनों को निरस्त करने तथा बाद में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए एक पैनल गठित करने सहित विभिन्न मांगों के सरकार द्वारा मान लिये जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को विरोध प्रदर्शन स्थगित करने की घोषणा की थी।
जब सिंघू बॉर्डर से किसान अपने घरों को लौटने लगे तो उनकी भावनाएं उफान पर थीं और मन में खुशियां हिलोरें मार रही थीं। ये किसान पिछले एक साल साथ रहने के बाद एक-दूसरे से विदाई लेते वक्त आपस में गले मिलते और बधाई देते नजर आए।
सिंघू बॉर्डर से रवाना होने को तैयार अम्बाला के गुरविंदर सिंह ने सुबह में कहा, ‘‘यह हम लोगों के लिए भावनात्मक क्षण है। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा बिछड़ना इतना कठिन होगा, क्योंकि हमारा यहां लोगों से और इस स्थान से गहरा लगाव हो गया था। यह आंदोलन हमारे यादों में हमेशा मौजूद रहेगा।’’
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल की वापसी पर शंभू बॉर्डर पर उनका अभिनंदन किया गया और उन्होंने किसानों को उनकी जीत के लिए बधाई दी।
इस बीच भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान 15 दिसंबर तक यहां दिल्ली सीमा पर अपना आंदोलन स्थल पूरी तरह से खाली कर देंगे। उन्होंने कहा कि किसानों का पहला समूह शनिवार को उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हो गया।
बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने कहा कि सरकार ने अपने विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया है और अन्य समस्याओं को सुलझाने के लिए सहमत हो गई है। उन्होंने कहा कि रविवार को गाजीपुर बॉर्डर का एक बड़ा हिस्सा खाली कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हालांकि इसे पूरी तरह से 15 दिसंबर तक खाली किया जाएगा। टिकैत ने कहा कि वह सभी किसानों को भेजकर घर लौटेंगे।
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