नयी दिल्ली, 29 अप्रैल: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर एक पैरोकार समूह ने उनसे दुर्लभ रोगों के लिए अद्यतन राष्ट्रीय नीति के तहत फैब्री रोग सहित सभी अधिसूचित रोगों को समान महत्व प्रदान करने के लिए उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) को दिशानिर्देश जारी करने का आग्रह किया है. यह भी पढ़ें: 154 Stones in Kidney: मरीज के गुर्दे से निकाली गई 154 पथरी, हैदराबाद के AINU में हुआ ऑपरेशन
लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर्स सोसाइटी ऑफ इंडिया ने कहा कि दुनिया भर में अप्रैल को फैब्री रोग जागरूकता माह के रूप में मनाया जा रहा है, भारत में इस दुर्लभ लेकिन फिर भी इलाज योग्य बीमारी के मरीज भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं.
फैब्री रोग दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 में समूह 3 (ए) के तहत वर्गीकृत दुर्लभ बीमारियों में शामिल है. यह बीमारी एंजाइम की कमी के कारण होती है, जिसके कारण हृदय और गुर्दे का कामकाज प्रभावित होता है. मुख्य रूप से कम जागरूकता के कारण फैब्री की पहचान कम ही हो पाती है और इसके लक्षण सामान्य रूप से 30 या 40 साल की उम्र में सामने आते हैं.
समूह ने अपने पत्र में कहा कि भारत में फैब्री रोगियों पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि प्रगतिशील गुर्दे, मस्तिष्कवाहिकीय और हृदय एवं रक्तवाहिकाओं संबंधी जटिलताओं के कारण अनुपचारित पुरुषों और महिलाओं की जीवन प्रत्याशा क्रमशः 20 वर्ष और 10 वर्ष कम हो जाती है.
भारत में ऐसे उदाहरण हैं, जहां समय पर इलाज मिलने पर मरीज सामान्य जीवन जी रहे हैं.
पत्र में लिखा है, ‘‘श्रीमान, हम यह भी सूचित करना चाहते हैं कि फैब्री रोग के लिए डीजीसीआई द्वारा अनुमोदित उपचार पिछले दो दशकों से भारत में उपलब्ध है। 10 किलोग्राम वजन वाले फैब्री रोगी के लिए वार्षिक लागत लगभग 20 लाख रुपये है.’’
पत्र में लिखा गया है, ‘‘हालांकि, दुर्लभ रोगों के रोगियों के इलाज के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता की उपलब्धता के बावजूद, स्वास्थ्य मंत्रालय के क्राउड-फंडिंग पोर्टल पर इलाज के लिए चुने गए फैब्री रोग के छह रोगियों में से किसी का भी इलाज शुरू नहीं किया गया है. फैब्री रोगियों और उनके परिवारों ने सीओई द्वारा उपचार के लिए चयनित करने में दिखाई गई उदासीनता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है.’’
पत्र में कहा गया है, ‘‘स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत फैब्री रोग सहित सभी अधिसूचित रोगों को समान महत्व प्रदान करने के लिए सीओई को आवश्यक दिशानिर्देश जारी करना चाहिए.’’
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