Mansukh Mandaviya On PM Modi: हॉकी के जादूगर भारतीय खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद की आज जयंती है. इस अवसर पर खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने मेजर ध्यान ध्यानचंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि इस खास दिन 29 अगस्त को हम 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के रूप में मना रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही कहा है कि 'जो खेलेगा वो खिलेगा.' देश के नागरिक स्वस्थ रहें क्योंकि स्वस्थ नागरिक स्वस्थ समाज का निर्माण करता हैं और स्वस्थ समाज समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करता है. खेल मंत्री ने कहा कि 2047 में विकसित भारत बनाने के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है इसलिए हम देश के नागरिकों से आग्रह करते हैं कि वो एक घंटा निकाल कर अपनी रुचि के मुताबिक कोई भी खेल जरूर खेलें.
आज राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर मैं भी अपनी रुचि के हिसाब से एक घंटा फुटबॉल खेलूंगा. बता दें कि हॉकी के जादूगर भारतीय खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद की जयंती पर 'राष्ट्रीय खेल दिवस' मनाया जाता है. उनका जन्म 1905 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) जिले में हुआ था. अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए ध्यान चंद सेना में शामिल हो गए और सेना में ही उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया. साल 1922 से 1926 के बीच ध्यानचंद हर स्तर की आर्मी प्रतियोगिताओं में हॉकी टीम का हिस्सा रहे. हॉकी ने ध्यानचंद को इस कदर दीवाना बना दिया था कि काम से लौटने के बाद आधी रात को भी ध्यानचंद हॉकी खेलते रहते थे. बताया जाता है कि वो चांद की रोशनी में भी हॉकी खेला करते थे. यह भी पढ़ें: Manu Bhaker On PM Modi: मैं मात्र 16 साल की थी जब पीएम मोदी ने मुझसे कहा था मेरा भविष्य उज्जवल है- मनु भाकर
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राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर, "हॉकी के जादूगर" मेजर ध्यानचंद जी को उनकी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की।
साथ ही युवा एथलीटों से मिला और #EkPedMaaKeNaam अभियान के तहत वृक्षारोपण किया ।#NationalSportsDay pic.twitter.com/bWgBMdVxFl
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) August 29, 2024
ध्यानचंद 1926 में भारतीय आर्मी को लेकर न्यूजीलैंड दौरे पर गए थे. वहां उन्होंने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए 18 मैचों में जीत दर्ज की, सिर्फ दो मुकाबले ड्रॉ रहे और सिर्फ एक मैच में उनकी टीम को हार का सामना करना पड़ा था. ध्यान चंद 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे. उन्होंने अपने 22 साल के शानदार करियर में 400 से ज्यादा गोल किए थे. साल 1956 में उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. भारत का सबसे बड़ा खेल सम्मान 'मेजर ध्यान चंद खेल रत्न अवार्ड' भी ध्यानचंद के नाम पर है. 3 दिसंबर 1979 को भारत के सर्वोच्च खिलाड़ी 'हॉकी के जादूगर' ने दुनिया को अलविदा कह दिया था.