देश की खबरें | दंतेवाड़ा आईईडी विस्फोट मामले में विस्फोटक दो महीने पहले लगाया गया था : पुलिस

रायपुर, 28 अप्रैल छत्तीसगढ़ पुलिस को संदेह है कि दंतेवाड़ा जिले में पुलिस के काफिले को निशाना बनाने के लिए नक्सलियों ने कम से कम दो महीने पहले घटनास्थल पर बारूदी सुरंग बिछाया था। पुलिस ने यह जानकारी दी।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को हुए विस्फोट से एक दिन पहले क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने बारूदी सुरंगों का पता लगाने का अभियान चलाया था, लेकिन उस वक्त न तो कोई बारूदी सुरंग मिला और न ही कोई संदिग्ध वस्तु बरामद हुई।

गौरतलब है कि दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने बुधवार को सुरक्षाकर्मियों के काफिले में शामिल एक वाहन को विस्फोट से उड़ा दिया था। इस घटना में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के 10 जवान और एक वाहन चालक की मौत हो गई थी।

घटना अरनपुर थाने से करीब एक किलोमीटर दूर दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय जाने वाली सड़क पर हुई।

बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया, ''प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि बारूदी सुरंग को कम से कम दो महीने या उससे पहले लगाया गया था। विस्फोट करने के लिए लगाए गए तार के ऊपर की मिट्टी पर घास उगी हुई थी। इससे पता चलता है कि बारूदी सुरंग को बहुत पहले लगाया गया था।’’

सुंदरराज ने कहा कि इस घटना के लिए करीब 40-50 किलोग्राम वजन के विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। ऐसा लगता है कि सड़क के किनारे से सुरंग खोदकर इसे सड़क के नीचे तीन से चार फीट गहरे गड्ढे में रखा गया था।

मानक प्रक्रिया (एसओपी) के उल्लंघन के बारे में पूछे जाने पर पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने इसका पालन किया था।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में दरभा ​डिवीजन से जुड़े नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद अभियान शुरू किया गया था। उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह अरनपुर से कुछ किलोमीटर दूर सुरक्षाकर्मियों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसके बाद दो नक्सलियों को पकड़ा गया, जिनमें से एक घायल है।

सुंदरराज पी. ने कहा कि इसके बाद डीआरजी की एक टीम आठ वाहनों में अरनपुर से दंतेवाड़ा मुख्यालय के लिए रवाना हुई। जबकि सुरक्षाकर्मियों की अन्य टीमें मुठभेड़ स्थल पर तलाशी ले रही थी।

उन्होंने बताया, ‘‘पकड़े गए नक्सलियों को पहले वाहन (काफिले के) में लाया जा रहा था। दोनों गाड़ियों के बीच लंबा फासला था जिससे वह काफिले जैसा न लगे। नक्सलियों ने दूसरे वाहन को निशाना बनाया, जिसमें 10 पुलिसकर्मी सवार थे।’’

पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमले की जगह से करीब 200 मीटर पहले, कुछ स्थानीय आदिवासी युवक बीज पंडुम त्योहार के लिए पैसा एकत्र करने के लिए राहगीरों को रोक रहे थे। बीजा पांडुम एक स्थानीय त्योहार है।

उन्होंने बताया कि वे पुलिस से पैसे नहीं मांगते हैं, लेकिन कभी-कभी सुरक्षाकर्मी स्वेच्छा से त्योहार के लिए आदिवासियों को कुछ पैसे देते हैं। उन्होंने कहा कि अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि जिस वाहन को निशाना बनाया गया था वह आदिवासियों को पैसे देने के लिए वहां रुका था या नहीं।

उन्होंने कहा कि पुलिस को संदेह है कि कोई मिलिशिया सदस्य वहां स्थानीय लोगों के साथ मौजूद था जो पुलिसकर्मियों पर नजर रख रहा था और विस्फोट करने वाले नक्सलियों को सूचना दे रहा था।

आईजी ने कहा कि मामले की जांच के बाद इस संबंध में अधिक जानकारी मिल सकेगी।

बीज पंडुम त्योहार मानसून की शुरुआत पर बुवाई के मौसम से पहले छत्तीसगढ़ में आदिवासियों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है।

हमले में नक्सलियों के किसी नेता के शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर सुंदरराज ने कहा कि माओवादियों की दरभा डिवीजन कमेटी ने एक बयान में हमले की जिम्मेदारी ली है। इसके कमांडर जगदीश ने इलाके में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा कि घटना के पीछे माओवादियों की मलांगिर एरिया कमेटी का हाथ हो सकता है, जो दरभा डिवीजन के तहत काम करती है लेकिन इसकी जांच की जा रही है।

नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों को मार्ग पर कम खतरा महसूस हुआ क्योंकि इस सड़क का इस्तेमाल लगातार किया जा रहा था। इसका निर्माण कमारगुड़ा तक पूरा हो गया है जो अरनपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है।

अधिकारी ने बताया कि हमले के दिन अरनपुर गांव में बाजार भी था। इससे वहां माओवादियों के मिलिशिया सदस्यों की उपस्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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