पुणे, 14 जनवरी सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को यहां कहा कि सशस्त्र बलों के पूर्व सैनिकों के अनुभव और प्रतिबद्धता का उपयोग राष्ट्र निर्माण के लिए किया जा सकता है।
नौवें पूर्व सैनिक दिवस पर पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा कि इस दिन का बहुत महत्व है क्योंकि यह उन बहादुर योद्धाओं को सम्मानित करने के लिए है जिन्होंने अपना जीवन राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश के उन वीर रक्षकों को संबोधित करना और उनके प्रति सम्मान प्रकट करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है, जो सेवानिवृत्ति के बाद भी समाज के लिए योगदान देना जारी रखते हैं।’’
सेना प्रमुख ने कहा कि भारत एक विकसित राष्ट्र बनने के सपने को साकार करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसके लिए प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है।
जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘यदि हम अपने समुदाय की सामूहिक शक्ति, 24 लाख भूतपूर्व सैनिकों, सात लाख वीर नारियों, 28 लाख पंजीकृत आश्रितों, 12 लाख सेवारत सैनिकों, उनके 24 लाख आश्रितों और परिवार के अन्य 28 सदस्यों पर विचार करें तो यह संख्या अविश्वसनीय रूप से 1.25 करोड़ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अनुभव, अनुशासन और अटूट प्रतिबद्धता से समृद्ध यह मानव पूंजी राष्ट्र निर्माण के प्रयासों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता रखती है।’’
उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण के अनुरूप, भारतीय सेना राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है।
सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘पूर्व सैनिकों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने के अवसरों का विस्तार करने के प्रयास चल रहे हैं, जिससे राष्ट्र निर्माण की नींव मजबूत होगी।’’
जनरल द्विवेदी ने आगे कहा कि इस प्रयास के दो पहलू हैं, जिन्हें समानांतर रूप से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘पहला, राज्य अपने काम में पूर्व सैनिकों को शामिल करने से कैसे लाभान्वित हो सकता है, और दूसरा, मान्यता और योगदान का एक पूरक संबंध स्थापित करना, जो पूर्व सैनिकों और राज्य सरकार दोनों के लिए कारगर स्थिति पैदा करता है।’’
उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर भी इसी तरह की कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इस अवधारणा पर कुछ राज्यपालों के साथ चर्चा की गई है, जो स्वयं पूर्व सैनिक हैं, और इस पहल के पीछे के मूल विचारों को उनका समर्थन मिला है।’’
सेना प्रमुख ने कहा कि इस पहल की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि सामूहिक परियोजनाओं में समावेश और भागीदारी के लिए भूतपूर्व सैनिकों के बीच कितने प्रभावी ढंग से तालमेल स्थापित किया जाता है।
जनरल द्विवेदी ने पूर्व सैनिकों से ‘परिवर्तन का स्तंभ’ और ‘पूरे राष्ट्र के परिवर्तन के राजदूत’ बने रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘आपका ज्ञान, देशभक्ति और निस्वार्थ सेवा हमारे लिए अमूल्य है। युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक बनें और उन्हें अनुशासन, देशभक्ति और सेवा के मूल्य सिखाते रहें।’’
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