नयी दिल्ली, 10 दिसंबर यूरोपीय संघ (ईयू) ने पश्चिमी प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रूस को संभावित सैन्य इस्तेमाल वाली ‘‘उच्च प्राथमिकता’’ की वस्तुओं की आपूर्ति करने में कुछ भारतीय कंपनियों की कथित संलिप्तता के बारे में भारत को जानकारी दी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
यूरोपीय संघ प्रतिबंध संबंधी दूत डेविड ओ सुलिवन ने कहा कि उन्होंने रूस को उच्च प्राथमिकता वाली सामान्य वस्तुओं का ‘‘अवैध प्रवाह’’ रोकने के मकसद से ‘‘प्रणालीगत समाधान’’ पर भारतीय प्राधिकारियों के साथ चर्चा के लिए अक्टूबर में भारत की यात्रा की थी।
इस मामले पर भारतीय पक्ष ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है। भारत यह कहता रहा है कि नीतिगत तौर पर, वह एकतरफा प्रतिबंधों को स्वीकार नहीं करता और केवल संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को ही मान्यता देता है।
सुलिवन ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘मैं रूस को उच्च प्राथमिकता वाली सामान्य वस्तुओं के अवैध प्रवाह को रोकने के उद्देश्य से प्रणालीगत समाधानों पर भारतीय प्राधिकारियों के साथ चर्चा करने के लिए अक्टूबर 2024 में दूसरी बार भारत की यात्रा की थी।’’
ऐसा बताया गया है कि उन्होंने भारतीय प्राधिकारियों को रूस को उत्पाद आपूर्ति करने वाली भारतीय कंपनियों के बारे में कुछ विवरण प्रदान किए हैं, जो मॉस्को पर जी7 और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए प्रतिबंधों को अनदेखी करते हैं।
हाल में अमेरिका ने रूस को ‘‘दोहरे उपयोग’’ वाली प्रौद्योगिकी प्रदान करने में कथित भूमिका के लिए भारत की 19 निजी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं।
यूरोपीय संघ के सूत्रों ने कहा कि भारत स्थित दो कंपनियों ‘‘विशिष्ट निर्यात प्रतिबंधों’’ के दायरे में हैं।
समझा जाता है कि भारत ने इस मामले पर यूरोपीय संघ से और जानकारी मांगी है।
सुलिवन ने कहा, ‘‘मैंने यूरोपीय संघ के जिन गैर सदस्य देशों का दौरा किया है, उन्होंने इस मुद्दे को हल करने के लिए विशिष्ट तंत्र स्थापित किए हैं। रूस का यूक्रेन पर क्रूर और अवैध आक्रमण यूरोपीय संघ के लिए अस्तित्व का सवाल है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अवैध खरीद नेटवर्क को रोककर रूसी सैन्य औद्योगिक प्रतिष्ठान की गतिविधियों को बाधित करना जारी रखेंगे।’’
सूत्रों के अनुसार, भारत की दो कंपनियां ‘एसआई2 माइक्रोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘इनोवियो वेंचर्स’ पहले से ही यूरोपीय संघ के विशिष्ट निर्यात प्रतिबंधों के दायरे में हैं।
यूरोपीय संघ के प्रतिबंध दूत ने कहा कि उनका काम ‘‘रूस के लिए हमारी प्रौद्योगिकी तक पहुंच को कठिन, धीमा और अधिक महंगा बनाना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि हम सफल हो रहे हैं। हमारा अनुमान है कि हमारे द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस सेमीकंडक्टर के लिए लगभग 130 प्रतिशत अधिक और पहले इस्तेमाल किए गए उपकरणों की खरीद पर 300 प्रतिशत अधिक भुगतान कर रहा है।’’
यूरोपीय संघ के सूत्रों ने कहा कि यूरोपीय संघ भारतीय प्राधिकारियों के साथ काम करना जारी रखेगा ताकि रूस को उच्च प्राथमिकता वाले सामान्य सामानों की आपूर्ति पर प्रतिबंधों का उल्लंघन रोकने के लिए व्यवस्थित समाधान खोजा जा सके।
यूरोपीय संघ के एक सूत्र ने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ वर्तमान में रूस के खिलाफ प्रतिबंधों के अपने 15वें पैकेज पर बातचीत कर रहा है। इस पैकेज में तस्करी करने वाले बेड़े के जहाजों और रूस को ‘युद्धक्षेत्र की वस्तुएं’ आपूर्ति करने वाली कंपनियों की सूची शामिल होगी।’’
रूस को विभिन्न कलपुर्जो की आपूर्ति करने के कारण अक्टूबर में भारतीय कंपनियों पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उनमें से किसी ने भी घरेलू कानूनों का उल्लंघन नहीं किया है तथा सामरिक व्यापार एवं अप्रसार नियंत्रण को लेकर भारत में एक मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)