देश की खबरें | जम्मू कश्मीर चुनाव में इंजीनियर रशीद की एआईपी, जमात-ए-इस्लामी कोई असर छोड़ने में नाकाम

श्रीनगर, आठ अक्टूबर कश्मीर घाटी में विधानसभा चुनाव के नतीजों में अलगाववादी उम्मीदवारों की बड़ी हार हुई है, जिनमें इंजीनियर रशीद के नेतृत्व वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) और जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवार भी शामिल हैं, जो चुनावों में कोई बड़ा प्रभाव डालने में विफल रहे।

कुलगाम से जमात-ए-इस्लामी के ‘प्रॉक्सी’ उम्मीदवार सयार अहमद रेशी और लंगेट से चुनाव लड़ रहे शेख अब्दुल रशीद उर्फ ​​इंजीनियर रशीद के भाई खुर्शीद अहमद शेख का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा। कुलगाम में रेशी को हार का सामना करना पड़ा, वहीं खुर्शीद अहमद शेख ने लंगेट से जीत हासिल की।

उनके प्रयासों के बावजूद, इन समूहों से जुड़े अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, जो मतदाताओं की स्पष्ट अस्वीकृति को दर्शाता है।

अफजल गुरु के भाई ऐजाज अहमद गुरु को सोपोर विधानसभा सीट पर करारी हार का सामना करना पड़ा, उन्हें मात्र 129 वोट मिले जो ‘इनमें से कोई नहीं’ (नोटा) विकल्प के लिए डाले गए 341 वोटों से काफी कम है।

इंजीनियर रशीद की एआईपी ने 44 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। हालांकि, एआईपी प्रवक्ता फिरदौस बाबा और कारोबारी शेख आशिक हुसैन सहित प्रमुख चेहरे चुनावी मुकाबले में नाकाम रहे और कई की जमानत भी जब्त हो गई।

जमात-ए-इस्लामी ने चार उम्मीदवार उतारे थे और चार अन्य का समर्थन किया था, लेकिन रेशी के अलावा, सभी न्यूनतम समर्थन भी हासिल करने में असफल रहे। निराशाजनक परिणामों के बावजूद, आशावादी दृष्टिकोण अपनाए रेशी ने कहा, ‘‘यह प्रक्रिया की शुरुआत है। हमारे पास प्रचार के लिए सीमित समय था, लेकिन मुझे विश्वास है कि हम भविष्य में बदलाव ला सकते हैं।’’

इसी तरह, पुलवामा से जमात के एक अन्य उम्मीदवार तलत मजीद ने अपनी हार का कारण जमात कार्यकर्ताओं से समर्थन की कमी को बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ उनके जुड़ाव की धारणा ने उनकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है। मजीद ने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि जमात पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए ताकि हम उस गौरव को पुनः प्राप्त कर सकें जो इसके संस्थापकों ने लोगों की मदद करके हासिल किया था।’’

प्रमुख व्यवसायी और इंजीनियर रशीद के करीबी सहयोगी शेख आशिक हुसैन केवल 963 वोट प्राप्त करने में सफल रहे, जबकि नोटा को 1,713 वोट मिले।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए मिले भारी समर्थन को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह महज एक लहर नहीं है। लोगों ने निर्णायक रूप से नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए मतदान किया है। अब हम यह देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं कि वे अपने जनादेश के बदले में क्या देते हैं।’’

एक अन्य उल्लेखनीय चेहरा, ‘आजादी चाचा’ के नाम से चर्चित सरजन अहमद वागय को भी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार के खिलाफ बड़ी हार का सामना करना पड़ा। वागय बीरवाह में अपनी जमानत बचाने में बमुश्किल कामयाब रहे। वागय वर्तमान में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत जेल में हैं।

विश्लेषकों का मानना ​​है कि चुनाव परिणाम राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव और अलगाववादी राजनीति को खारिज किए जाने का संकेत है।

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