नयी दिल्ली, तीन जून केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई), संवर्धित वास्तविकता (एआर), ब्लॉकचेन, ड्रोन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), रोबोटिक्स, थ्रीडी प्रिंटिंग और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां शासन समेत जीवन के सभी पहलुओं पर गहरा असर डालने जा रही हैं।
प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत विभाग द्वारा विजन इंडिया, 2047 पर आयोजित सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि क्षमता संसाधन प्रबंधन भारत के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करने जा रहा है, इसलिए देश आगे के 25 साल के सफर के लिए एक रोडमैप तैयार कर रहा है।
कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने बैठक में कहा कि 21वीं सदी की प्रबंधन पद्धतियां अपनाने को लेकर सरकारों के सामने एक बड़ी चुनौती आई है, इसलिए यही उद्देश्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी विजन इंडिया, 2047 की ओर कदम बढ़ाया है।
कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, मंत्री ने कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई), संवर्धित वास्तविकता (एआर), ब्लॉकचेन, ड्रोन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), रोबोटिक्स, थ्रीडी प्रिंटिंग और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां शासन समेत जीवन के सभी पहलुओं पर गहरा असर डालने जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि वैसे तो यह अनुमान लगा पाना मुश्किल है कि अब से 25 साल बाद भारत का सटीक स्वरूप क्या होगा लेकिन एक बात तो तय है कि जब स्वतंत्र भारत 100 साल का होगा तब वह दुनिया की प्रौद्योगिकी एवं आर्थिक महाशक्ति होगा।
सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के पिछले आठ साल में कई पहलों, नीतियों, योजनाओं एवं कार्यक्रमों ने नए भारत एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रादुर्भाव में योगदान दिया है लेकिन विभिन्न मोर्चों पर चुनौतियां हैं जिनके लिए नवोन्मेषी हल की जरूरत है।
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