नयी दिल्ली, 21 सितंबर राज्यसभा में रविवार को हुए हंगामे की गूंज सोमवार को भी सुनाई पड़ी और विपक्ष के आठ सदस्यों को सत्र के शेष समय के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित सदस्यों के सदन से बाहर नहीं जाने और सदन में हंगामा जारी रहने के कारण सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुयी तथा चार बार के स्थगन के बाद अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
इसके साथ ही राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि यह उचित प्रारूप में नहीं था।
सुबह उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर शून्यकाल चला जिसमें सदस्यों ने लोक महत्व के विषय के तहत अलग अलग मुद्दे उठाए।
शून्यकाल समाप्त होने के बाद नायडू ने रविवार को सदन में हुए हंगामे का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ विपक्षी सदस्यों का आचरण दुखद, अस्वीकार्य और निंदनीय है।
नायडू ने कहा कि सदस्यों ने कोविड-19 संबंधी सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि सदस्यों ने उपसभापति हरिवंश के साथ अमर्यादित आचरण किया।
नायडू ने इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन को ‘नाम का उल्लेख’’ करते हुए उन्हें सदन से बाहर जाने को कहा। हालांकि, ब्रायन सदन में ही रहे।
उन्होंने उपसभापति के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष और 46 सदस्यों का पत्र मिला है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि रविवार को कृषि संबंधी दो विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान संसदीय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया।
नायडू ने कहा कि उन्होंने कल की कार्यवाही पर गौर किया कि रिकार्ड के अनुसार उपसभापति पर लगाए गए आरोप सही नहीं हैं।
सभापति ने कहा कि प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में भी नहीं है और इसके लिए जरूरी 14 दिनों के नोटिस का भी पालन नहीं किया गया है।
इसके बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कल के हंगामे में असंसदीय आचरण को लेकर विपक्ष के आठ सदस्यों को सत्र के शेष समय के लिए निलंबित किए जाने का प्रस्ताव पेश किया। इसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।
निलंबित किए गए सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, आप के संजय सिंह, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम शामिल हैं।
सभापति ने निलंबित किए गए सदस्यों को बार बार सदन से बाहर जाने को कहा। लेकिन सदस्य सदन से बाहर नहीं गए और सदन में हंगामा जारी रहा।
नायडू ने उत्पाद एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रतिपूर्ति का भुगतान नहीं किए जाने के कारण उत्पन्न हुयी स्थिति पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा शुरू कराने का प्रयास किया। लेकिन हंगामे के कारण इस पर चर्चा शुरू नहीं हो सकी और हंगामे के कारण बैठक नौ बजकर करीब 40 मिनट पर बैठक 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
एक बार के स्थगन के बाद 10 बजे बैठक फिर शुरू होने पर भी सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा और उपसभापति हरिवंश ने निलंबित सदस्यों को सदन से बाहर जाने को कहा। लेकिन निलंबित सदस्य सदन से बाहर नहीं गए।
हंगामे के बीच ही शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान विधियां (संशोधन) विधेयक, 2020 चर्चा के लिए पेश किया।
सदन में हंगामा थमते नहीं देख 10 बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी गयी।
इसके बाद बैठक फिर शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा। पीठासीन उपसभापति भुवनेश्वर कालिता ने बार बार निलंबित सदस्यों को सदन से बाहर जाने को कहा ताकि सदन में सुचारू रूप से कामकाज हो सके तथा नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद को अपनी बात कहने का मौका मिल सके।
लेकिन आसन द्वारा की गयी अपील का कोई असर नहीं हुआ और सदन की कार्यवाही चार बार के स्थगन के बाद 12 बजकर करीब पांच मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
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