नयी दिल्ली, 6 जनवरी: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) से दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के धन की कथित हेराफेरी से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के हिस्से के रूप में शनिवार को अपनी छापेमारी पूरी कर ली. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने शुक्रवार को छापेमारी शुरू की थी और दिल्ली-एनसीआर में नौ स्थानों पर छापे मारे गये, जिसमें आरएफएल, एम3एम इंडिया होल्डिंग्स, आरएचसी होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड, हिलग्रो इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, डायोन ग्लोबल सॉल्यूशंस और प्रियस कमर्शियल के कॉर्पोरेट कार्यालय शामिल थे.
सूत्रों ने कहा कि छापेमारी शनिवार को समाप्त हुई. अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी के दौरान डिजिटल साक्ष्य सहित 'संवेदनशील' दस्तावेज जब्त किए गए और बड़े पैमाने पर अपराध से अर्जित आय की पहचान की गई. आरएफएल ने एक नियामकीय फाइलिंग में कहा कि उसके मौजूदा प्रबंधन ने भी जांच शुरू करने के लिए ईडी से शिकायत की है.
कंपनी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ‘‘सूचीकरण विनियमों के नियम 30 के अनुसार, हम सूचित करना चाहते हैं कि रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल/कंपनी) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के वर्तमान प्रबंधन द्वारा की गई शिकायत के आधार पर और कॉरपोरेट लोन बुक के संबंध में चल रही जांच में तेजी लाने के लिए हाल ही में आरएफएल के अनुरोध पर प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी ने पांच जनवरी, 2024 को प्रासंगिक जानकारी/दस्तावेज एकत्र किए.''
कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘प्राधिकरण के अधिकारियों को मशविरे के अनुसार जानकारी और दस्तावेज प्रदान/जमा कर दिए गए.’’
ईडी का मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की प्राथमिकी से उत्पन्न हुआ था. एजेंसी ने फोर्टिस के पूर्व प्रवर्तकों- मलविंदर मोहन सिंह व शिविंदर मोहन सिंह और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड के मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) सुनील गोधवानी को गिरफ्तार किया था.
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