नयी दिल्ली, दो दिसंबर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने जीसस एंड मैरी कॉलेज(जेएमसी) में आयोजित की गयी परीक्षा में ‘नॉन-कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड (एनसीडब्ल्यूईबी)’ की लगभग 500 छात्राओं के अनुत्तीर्ण होने के बाद पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं। इस कॉलेज में में उत्तर पुस्तिकाएं जांची भी गयी थीं।
कॉलेज प्रशासन ने कथित विसंगतियों को लेकर एक कर्मी के विरूद्ध दिल्ली पुलिस से भी संपर्क किया। हालांकि, इन आरोपों के संबंध में कॉलेज प्रशासन और एनसीडब्ल्यूईबी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) में निर्वाचित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के सदस्यों के साथ सैकड़ों प्रभावित विद्यार्थियों ने तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए सोमवार को कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए और न्याय की मांग करते हुए पोस्टर लहराए।
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के एक अधिकारी के मुताबिक कॉलेज ने प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों से शिकायतें मिलने के बाद रिकॉर्ड रखने की प्रक्रिया में विसंगतियां पायीं। उन्होंने कहा कि परीक्षा में कुछ विद्यार्थियों को उपस्थित होने के बावजूद उन्हें ‘‘अनुत्तीर्ण’’, ‘‘आवश्यक दोहराव’’ (ईआर) या ‘‘अनुपस्थित’’ चिह्नित किया गया था।
प्रदर्शनकारी छात्राओं ने दावा किया कि उन्होंने अपनी परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने कॉलेज पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया है।
उनकी मांग है कि उनकी उत्तर पुस्तिकाएं दिखाई जाएं और उनके नतीजों में सुधार किया जाए।
डीयू के एक अधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है तथा कॉलेज को इन विसंगतियों को तत्काल दूर करने का निर्देश दिया है।
एक वरिष्ठ डीयू अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर कोई विद्यार्थी परीक्षा में ‘फेल’ हो गया है, तो हम उसकी सहायता नहीं कर पाएंगे। हालांकि, जिन विद्यार्थियों को गलत तरीके से ‘फेल’ घोषित किया गया है, उनके लिए हमने कॉलेज को आवश्यक सुधार करने और संशोधित परिणाम जारी करने का निर्देश दिया है। इसके अतिरिक्त, कॉलेज ने एक कर्मी के खिलाफ शिकायत दर्ज की है, जो रिकॉर्ड रखने में गड़बड़ी करने का दोषी पाया गया था।’’
जेएमसी प्राचार्य ने इन आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
बोर्ड की निदेशक गीता भट्ट की ओर से भी तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
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