दवा प्रतिरोधी तपेदिक की जांच करने वाली मशीनों का इस्तेमाल कोरोना वायरस की जांच में होगा
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नयी दिल्ली, 20 मई भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि दवा प्रतिरोधी तपेदिक की जांच के लिए जिन जांच मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है अब उनका इस्तेमाल कोविड-19 की जांच के लिए भी किया जा सकता है।

कोरोना वायरस संक्रमण की जांच क्षमता तेजी से बढ़ाने के प्रयासों के तहत आईसीएमआर ने 10 अप्रैल को ट्रूनेट प्रणाली के इस्तेमाल की इजाजत दी थी।

अब आईसीएमआर ने कोविड-19 की जांच के लिए ट्रूनेट प्रणाली के अद्यतन दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिनमें कहा गया है कि,‘‘ट्रूनेट प्रणाली अब कोविड-19 मामलों की जांच और पुष्टि के लिए एक व्यापक कसौटी है।’’

दिशानिर्देशों के अनुसार कोविड-19 के सभी संदिग्ध नमूनों का पहले ‘ई जीन स्क्रीनिंग एस्से’ से परीक्षण किया जाना चाहिए। निगेटिव आए परिणामों को वास्तविक निगेटिव माना जाना चाहिए। संक्रमित पाए गए सभी नमूनों में संक्रमण की पुन: पुष्टि के लिए दूसरे चरण से उनकी जांच की जानी चाहिए । दूसरा चरण ‘आरडीआरपी जीन कंफेटरी एस्से’ है। इस प्रक्रिया में जिन लोगों में संक्रमण की पुष्टि होती है उन्हें सही में संक्रमित माना जाना चाहिए।

दिशा निर्देशों के अनुसार, ‘‘एस्से के दूसरे चरण में जिन नमूनों में संक्रमण की पुष्टि हुई है उनमें आरटी-पीसीआर आधारित पुष्टि परीक्षण की जरूरत नहीं है।’’

इसमें कहा गया है आईसीएमआर के पोर्टल पर संक्रमण के सभी मामलों की जानकारी दी जाए। साथ ही, जिनमें संक्रमण नहीं भी पाया गया है उनके बारे में भी जानकारी दी जाए।

गौरतलब है कि कोविड-19 के कारण देश में बुधवार तक 3,303 लोगों की मौत हो गई और संक्रमण के मामले बढ़कर 1,06,750 पर पहुंच गए।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि बीते 24 घंटे में 140 संक्रमित व्यक्तियों की मौत हुई और संक्रमण के रिकॉर्ड 5,611 नए मामले सामने आए।

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