ICC World Cup 2023: वर्ल्ड कप पिचों को ‘औसत’ रेटिंग देने से सहमत नहीं हैं हेड कोच राहुल द्रविड़, कल न्यूजीलैंड के साथ मुकाबला
भारत के हेड कोच राहुल द्रविड़ (Photo Credit: Twitter)

धर्मशाला: भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ मौजूदा एकदिवसीय विश्व कप की कुछ पिचों को आईसीसी द्वारा ‘औसत’ की रेटिंग दिए जाने से सहमत नहीं हैं और इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा कि सिर्फ अधिक रन बनना ही पिचों को रेटिंग दिए जाने की पात्रता नहीं हो सकती. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की मेजबानी करने वाले चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम और अहमदाबाद में पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले की मेजबानी करने वाले अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम की पिच को ‘औसत’ रेटिंग दी है. IND vs NZ: सूर्यकुमार यादव को प्रैक्टिस के दौरान हाथ में चोट लगी, ईशान किशन को मधुमक्खी ने मारा डंक

द्रविड़ ने कहा कि वह एक टूर्नामेंट में विविधता देखना चाहते हैं और सिर्फ रन बनने के आधार पर पिच को रेटिंग नहीं दी जा सकती. द्रविड़ ने न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले की पूर्व संध्या पर शनिवार को यहां कहा, ‘‘मैं निश्चित रूप से उन दो विकेटों के लिए दी गई औसत रेटिंग से सम्मानपूर्वक असहमत रहूंगा. मुझे लगता है कि वे अच्छे विकेट थे. यदि आप केवल 350 रन देखना चाहते हैं और केवल उन्हीं विकेटों को अच्छा मानते हैं, तो मैं इससे असहमत हूं. मुझे लगता है कि आपको विभिन्न कौशल पर ध्यान देना होगा. अगर हम केवल चौके और छक्के देखना चाहते हैं तो उसके लिए हमारे पास टी20 क्रिकेट भी है.’’

द्रविड़ ने कहा कि अगर सिर्फ चौके और छक्के देखने हैं तो फिर गेंदबाजों की मैच में क्या भूमिका है.

उन्होंने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो दिल्ली या पुणे में शायद 350 रन से अधिक के विकेट भी हैं. केवल वे ही अच्छे विकेट हैं तो फिर गेंदबाज यहां क्यों हैं? आखिर स्पिनर क्यों हैं? यदि आप सभी चाहते हैं कि स्पिनर आएं और 10 ओवर में 60 रन देकर चले जाएं, ताकि आप चौके और छक्के देख सकें और एक गेंद स्पिन हो या दो गेंद स्पिन हो और आप इसे औसत रेटिंग दें.’’

द्रविड़ ने कहा, ‘‘मैं इससे असहमत हूं क्योंकि मुझे लगता है कि हमें सभी कौशल पर ध्यान देना चाहिए, बीच में स्ट्राइक रोटेट करने की क्षमता. जडेजा की स्तरीय गेंदबाजी या (मिशेल) सेंटनर को गेंदबाजी करते हुए देखना या (एडम) जंपा को गेंदबाजी करते हुए देखने या केन विलियमसन को बीच के ओवरों में स्ट्राइक रोटेट करते हुए देखना. विराट कोहली और लोकेश राहुल ने जिस तरह से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बल्लेबाजी की. वे कौशल भी हैं. उनको भी सामने आकर दिखाने और प्रदर्शित करने की जरूरत है.’’

भारतीय कोच ने कहा, ‘‘कुछ विकेटों पर जिन पर हम खेले, दिल्ली और पुणे में बीच के ओवरों में स्ट्राइक रोटेट करना कोई बहुत कठिन कौशल नहीं था. प्रतिस्पर्धा इस पर थी कि कौन अधिक चौके और छक्के लगा सकता है. इसलिए मेरी राय में यही विकेटों का आकलन करने का एकमात्र तरीका नहीं है. मेरा मानना है कि हमें यह तय करने का बेहतर तरीका अपनाने की जरूरत है कि क्या अच्छा है और क्या औसत.’’

द्रविड़ ने अपनी बात को साबित करने के लिए कुछ उदाहरण भी दिए. उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको एक उदाहरण देता हूं. मुझे नहीं पता कि उन विकेटों के लिए क्या रेटिंग थी लेकिन हमने ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप खेला था. पर्थ में हमने 138 रन का विकेट देखा. भारत दक्षिण अफ्रीका से खेलता है और लगभग प्रत्येक गेंद सीम और स्विंग करती है. वह एक टी20 मैच था. मुझे नहीं पता कि उसे क्या रेटिंग दी गई. मुझे आशा है कि उसे भी औसत रेटिंग दी गई होगी.’’

उन्होंने कहा, ‘‘विश्व टी20 फाइनल में पाकिस्तान ने इंग्लैंड से फिर खेला और टी20 मैच में 130 रन बने. मैं इसके बारे में शिकायत नहीं कर रहा हूं. मुझे लगता है कि यह अच्छा है, यह बहुत अच्छा है. पर्थ का वह विकेट अच्छा था. इसमें विभिन्न कौशल को चुनौती मिली. इसमें विभिन्न कौशल को प्रदर्शित किया गया. और मैं यह तब भी कह रहा हूं जबकि हम वे मैच हार चुके हैं. तो इसमें कोई समस्या नहीं है. कभी-कभी विकेट थोड़ा टर्न करेंगे, कभी-कभी वे थोड़ा सीम करेंगे, वे थोड़ा स्विंग करेंगे, वे थोड़ा उछाल लेंगे. हम सिर्फ 350 रन में लगने वाले छक्कों और चौकों को ही अच्छे विकेट के रूप में देखना चाहते हैं तो मैं इससे असहमत हूं.’’

द्रविड़ ने कहा कि वह टूर्नामेंट में विविधता देखना चाहते हैं और कम रन बनने का मतलब यह नहीं है कि विकेट अच्छा नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं सिर्फ एक टूर्नामेंट में विविधता देखना चाहता हूं. मेरा मतलब है कि कभी कभी अच्छे विकेट होंगे. कभी-कभी 350 का स्कोर होगा और ऐसे मैच होंगे जिनमें काफी रन बनेंगे. कभी-कभी ऐसे विकेट होते हैं जहां गेंद घूमती है, स्पिनरों को मौका मिलता है. अन्य विकेट भी होंगे जहां गेंद थोड़ा सीम हो सकती है. आपके पास एक लंबा टूर्नामेंट है, आप भारत में खेल रहे हैं, देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग विकेट होंगे, अलग-अलग चुनौतियां होंगी. जो टीमें उन सभी चुनौतियों का सामना करने और उससे निपटने में सक्षम हैं, वही अंततः सफल होंगी.’’

द्रविड़ ने कहा, ‘‘एक टीम के रूप में हमें इस पर ध्यान केंद्रित करने और उसके अनुसार काम करने में सक्षम होना होगा. आप हर चीज का मानकीकरण करना चाहते हैं और हर विकेट को 350 रन का विकेट बनाना चाहते हैं. 350 रन से अधिक के विकेट में भी कौशल दिखता है. हमने कुछ बेहतरीन हिटिंग देखी. हम देखते हैं कि कुछ शानदार शॉट खेले जा रहे हैं लेकिन अन्य कौशल छूट जाते हैं. और उस विशेष दिन पर यह ठीक है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन शुरुआती मैचों में जब गेंद थोड़ी घूमती है या कुछ होता है, तो गेंदबाजों को मौका मिलता है. आप उन्हें औसत रेटिंग देना शुरू कर देते हैं. इससे गेंदबाज कहां जाएंगे. फिर वे क्यों आ रहे हैं? यदि हम केवल चौके और छक्के देखना चाहते हैं तो जैसा कि मैंने कहा - हमारे पास टी20 है, दो टी20 मैच खेलें.’’

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