नयी दिल्ली, 16 दिसंबर भारत और चीन बुधवार को बीजिंग में सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता करेंगे तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
यह वार्ता करीब पांच साल के अंतराल के बाद होगी। इससे पहले विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की वार्ता दिसंबर 2019 में नयी दिल्ली में हुई थी।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने पर चर्चा करेंगे तथा सीमा से जुड़े मुद्दों का ‘‘निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य’’ समाधान तलाशेंगे।
मंत्रालय ने देर रात जारी बयान में कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एवं भारत-चीन सीमा मुद्दे पर भारत के विशेष प्रतिनिधि (एसआर) अजीत डोभाल, चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ 18 दिसंबर को बीजिंग में एसआर की 23वीं बैठक करेंगे।’’
वार्ता के इस तंत्र को बहाल करने का निर्णय 23 अक्टूबर को रूसी शहर कजान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई बैठक में लिया गया था।
भारत और चीन ने पांच दिसंबर को अपनी कूटनीतिक वार्ता में विशेष प्रतिनिधि वार्ता की तैयारी की थी। वार्ता के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग यी करेंगे।
पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के कारण पिछले पांच साल में कोई विशेष प्रतिनिधि वार्ता नहीं हुई।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था। यह गतिरोध एक समझौते के तहत देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद समाप्त हुआ था। सैनिकों की वापसी के समझौते को 21 अक्टूबर को अंतिम रूप दिया गया था।
समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिन बाद मोदी और शी ने रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर बातचीत की थी। बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता सहित कई वार्ता तंत्रों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की थी।
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