बारामती (महाराष्ट्र), 14 जुलाई महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कार्यकर्ताओं से कहा कि वे उन पर भरोसा करें और प्रतिद्वंद्वियों द्वारा संविधान बदलने संबंधी फैलाई जा रही झूठी बातों पर विश्वास न करें।
पुणे जिले के बारामती में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अजित पवार ने कहा, ‘‘जब तक हम जिंदा हैं, कोई भी संविधान को बदलने की हिम्मत नहीं करेगा।’’
अजित ने कहा कि वह सत्ता का इस्तेमाल गरीबों, किसानों और महिलाओं के कल्याण के लिए करने में विश्वास रखते हैं और पिछले महीने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान उनके द्वारा पेश किया गया राज्य बजट इस उद्देश्य को उजागर करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘गरीबी उन्मूलन और विकास मेरी पार्टी का एजेंडा है, जबकि मेरे विरोधियों ने झूठी बातें फैलाने पर ध्यान केंद्रित किया है।’’ अजित ने अपने समर्थकों से उन पर भरोसा करने को कहा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री अमित शाह से चीनी का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने के लिए कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी इस ‘‘फर्जी दुष्प्रचार’’ पर विश्वास नहीं करना चाहिए कि दूध, पाउडर और प्याज का आयात किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राकांपा और सत्तारूढ़ महायुति के सहयोगी यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी जाति या धर्म के किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय न हो।
महायुति में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा भी शामिल हैं।
अजित ने कहा, ‘‘भावुक होने से विकास सुनिश्चित नहीं होगा बल्कि हमें अथक परिश्रम करना होगा।’’ अजित ने कहा कि राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर वह आगामी विधानसभा चुनावों तक राज्य का दौरा करेंगे।
राज्य में चुनाव अक्टूबर में होने हैं।
अजित ने कहा कि लड़की बहन योजना (महिलाओं को वित्तीय सहायता), तीन मुफ्त एलपीजी सिलेंडर, लड़कियों के लिए मुफ्त कॉलेज शिक्षा, किसानों के लिए मुफ्त बिजली और युवाओं के लिए कुशल उद्यमिता जैसे उपायों को बजट में शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों का कल्याण सुनिश्चित करना है।
इस अवसर पर राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने दावा किया कि जिस दिन (9 जुलाई को) आरक्षण मुद्दे पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री शिंदे द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, उसी शाम पांच बजे बारामती से एक आह्वान किया गया और सभी विपक्षी नेताओं ने बैठक का बहिष्कार कर दिया।
बारामती विपक्षी राकांपा (सपा) प्रमुख शरद पवार का गढ़ है। भुजबल ने कहा, ‘‘क्या वरिष्ठ नेताओं को जातिगत तनाव को हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। हम मराठा और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के बीच जातिगत विभाजन देख रहे हैं। हम चाहते हैं कि मराठों को आरक्षण मिले, लेकिन ओबीसी की कीमत पर नहीं।’’
विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, ताकि ओबीसी श्रेणी के तहत कोटा सहित समुदाय की मांगों पर चर्चा की जा सके।
पिछले महीने, ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हेके और नवनाथ वाघमरे ने भूख हड़ताल करते हुए मांग की थी कि ओबीसी श्रेणी के तहत कोटा लाभ प्राप्त करने के लिए मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र देने वाली मसौदा अधिसूचना को रद्द किया जाए।
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