नई दिल्ली, 3 सितंबर: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि करीब चार साल पहले की गई नोटबंदी असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था और इसका छिपा हुआ मकसद असंगठित क्षेत्र से नकदी को निकालना था. उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी से कोई फायदा नहीं हुआ और पूरे देश को इसे पहचान कर इसके खिलाफ मिलकर लड़ना चाहिए. उल्लेखनीय है कि आठ नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी जिसके तहत 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे.
गांधी ने एक वीडियो जारी कर दावा किया, "नोटबंदी हिंदुस्तान के गरीब, किसान, मजदूर और छोटे दुकानदार पर आक्रमण था. नोटबंदी हिंदुस्तान की असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था." उन्होंने कहा, "नोटबंदी के बाद पूरा हिंदुस्तान बैंक के सामने जाकर खड़ा हुआ. सबने अपना पैसा अपनी आमदनी बैंक में जमा की. सवाल यह है कि क्या काला धन मिटा? नहीं. हिंदुस्तान की गरीब जनता को नोटबंदी से क्या फायदा मिला? कुछ फायदा नहीं हुआ."
कांग्रेस नेता ने दावा किया, "फायदा हिंदुस्तान के सबसे बड़े अरबपतियों को मिला. आपका पैसा था, आपकी जेब में से निकाला गया गया और उसका उपयोग सरकार ने इन लोगों का कर्जा माफ करने के लिए किया. इसके साथ ही नोटबंदी का दूसरा छिपा हुआ लक्ष्य असंगठित क्षेत्र से नकद निकालकर इसे खत्म करना था." राहुल गांधी ने कहा, "प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा कि वह कैशलेस इंडिया चाहते हैं. कैशलेस हिंदुस्तान चाहते हैं. अगर कैशलेस हिंदुस्तान होगा तो असंगठित अर्थव्यवस्था तो खत्म हो जाएगी."
उनके मुताबिक, नोटबंदी का नुकसान किसानों, मजदूरों, छोटे दुकानदारों, छोटे एवं मझोले कारोबार वालों को हुआ जो नकदी का इस्तेमाल करते हैं और नकद के बिना जी नहीं सकते. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, "नोटबंदी हिंदुस्तान के गरीब, किसान, मजदूर और छोटे दुकानदार पर आक्रमण था. नोटबंदी हिंदुस्तान की असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था और हमें इस आक्रमण को पहचानना पड़ेगा और पूरे देश को मिलकर इसके खिलाफ लड़ना पड़ेगा."
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