नयी दिल्ली, नौ दिसंबर अंतरराष्ट्रीय तांबा संघ-भारत ने सोमवार को कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास और भवन निर्माण की तीव्र गति से भारत की तांबे की मांग बीते वित्त वर्ष 2023-24 में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत बढ़कर 1,700 किलो टन हो गई।
अंतरराष्ट्रीय तांबा संघ ने बयान में कहा कि पारंपरिक रूप से भवन निर्माण और बुनियादी ढांचे में तांबे की मांग का 43 प्रतिशत हिस्सा होता है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में यह 11 प्रतिशत का योगदान देता है।
संघ द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, देश में तांबे की मांग 2023-24 में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत बढ़कर 1,700 किलो टन (केटी) तक पहुंच गई।
उद्योग निकाय ने कहा कि इस उछाल का श्रेय समग्र आर्थिक वृद्धि को जाता है। कोविड महामारी के बाद वित्त वर्ष 2020-21 और 2023-24 के बीच औसत वार्षिक तांबे की मांग में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
उसने कहा कि देश में तेजी से बढ़ते बुनियादी ढांचे और भवन निर्माण क्षेत्रों की मांग के चलते अगले वित्त वर्ष में तांबे की मांग में वृद्धि जारी रहेगी।
ताजा जीडीपी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बुनियादी ढांचे और निर्माण क्षेत्रों में क्रमशः 9.1 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
अंतरराष्ट्रीय तांबा संघ भारत के प्रबंध निदेशक मयूर करमरकर ने कहा, ‘‘कुल रुझान, तांबे की मांग में मजबूत वृद्धि को दर्शाती है, जो देश की आर्थिक वृद्धि के अनुरूप है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निवेश, उच्च उपभोक्ता खर्च और भवन निर्माण, बुनियादी ढांचे, परिवहन, औद्योगिक और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रगति से यह वृद्धि हुई है। इससे तांबे की मांग में बढ़ोतरी दो अंक में रही है।’’
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