नई दिल्ली, 24 जनवरी: किसान नेताओं ने शुक्रवार को दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं किसान यूनियनों को 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर परेड निकालने की अनुमति दे दी है. हालांकि दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त जन संपर्क अधिकारी अनिल मित्तल ने कहा, "किसानों से हमारी वार्ता अंतिम चरण में है." हजारों किसान 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं. किसानों की मांग है कि तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए. प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के अनुसार परेड में दो लाख से अधिक ट्रैक्टरों के भाग लेने की उम्मीद है और रैली के करीब पांच मार्ग होंगे. दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड समाप्त होने के बाद दोपहर 12 बजे ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी. प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने किसानों को गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर परेड निकालने की अनुमति दे दी है.
कोहाड़ ने यूनियनों और पुलिस के बीच हुई बैठक में शिरकत करने के बाद कहा कि ट्रैक्टर परेड दिल्ली के गाजीपुर, सिंघू और टीकरी बॉर्डरों से शुरू होंगी. किसान नेताओं ने कहा कि पांच मार्गों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है और हर मार्ग पर किसान ट्रैक्टरों से 100 किलोमीटर तक का सफर तय करेंगे. उन्होंने कहा कि 70 से 78 प्रतिशत मार्ग दिल्ली में होंगे जबकि शेष मार्ग राष्ट्रीय राजधानी से बाहर होंगे. सूत्रों ने कहा कि सिंघू बॉर्ड से ट्रैक्टर परेड का एक संभावित मार्ग गांधी ट्रांसपोर्र्ट नगर होगा. यहां से परेड कंझावाल और बवाना इलाकों से होती हुआ जाएगी और वापस प्रदर्शन स्थल पर लौट आएगी. उन्होंने कहा कि टीकरी बॉर्डर पर डटे किसान प्रदर्शन स्थल से अपनी परेड शुरू करेंगे और यह नांगलोई, नजफगढ़, बादली, और कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे होती हुई जाएगी.
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किसान नेता दर्शन पाल ने कहा दिल्ली की सीमाओं पर लगाए गए अवरोधकों को 26 जनवरी को हटा दिया जाएगा और किसान राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करके ट्रैक्टर रैलियां निकालेंगे. एक और किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पत्रकारों को बताया कि चूंकि हजारों किसान इस परेड में हिस्सा लेंगे, लिहाजा इसका कोई एक मार्ग नहीं रहेगा. इस बीच, यूनियनों ने 26 जनवरी की परेड के मद्देजनर एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है. एक किसान नेता ने कहा कि टैक्टरों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिये 2,500 स्वयंसेवक तैनात रहेंगे. भीड़ के अनुसार उनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है. पंजाब के किसान यूनियनों की बैठक की अध्यक्षता करने वाले कीर्ति किसान यूनियन के अध्यक्ष निर्भयी सिंह धुडिके ने कहा कि राज्य से एक लाख से अधिक ट्रैक्टर आने की उम्मीद है.
इन सबके बीच, प्रदर्शनकारी किसान नेता शनिवार को भी कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े रहे और कहा कि फिलहाल उनका पूरा ध्यान 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर परेड पर है. उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर परेड के बाद ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी. किसान नेताओं ने शनिवार को लंबी बैठक कर कानूनों के कार्यान्वयन को 18 महीने टालने के केन्द्र सरकार के प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई. इससे पहले शुक्रवार को सरकार ने कहा था कि अगर किसानों को प्रस्ताव मंजूर है तो वे शनिवार तक इस बारे में सरकार को बता सकते हैं. हरियाणा किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने 'पीटीआई-' से कहा, "आंदोलन शुरू होने के समय से ही हमारी मांग बिल्कुल स्पष्ट है. हम इन तीन कृषि कानूनों को पूरी रद्द करने की मांग करते हैं. इससे कम पर कोई बात नहीं बनेगी."
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