नयी दिल्ली: बेहद दिलचस्प घटनाक्रम में महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान प्रमुख व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की जमानत याचिका का विरोध करने या इसका समर्थन करने के मुद्दे पर दिल्ली पुलिस बृहस्पतिवार को संयम बरतती नजर आई.
न्यायाधीश द्वारा बार-बार पूछे जाने पर भी कि जमानत अर्जी पर जांच एजेंसी का क्या रुख है, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सरकारी वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि ‘‘कृपया कानून के आधार पर तय करें.’’ Instagram Down! इंस्टाग्राम की सर्विस डाउन, 24 घंटे में Meta को 2 बार लगा झटका
न्यायाधीश ने सरकारी वकील से पूछा, ‘‘आपका रुख क्या है? क्या आप अर्जी का विरोध करते हैं.’’
इस पर सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हां...कृपया कानून और उच्चतम न्यायालय के फैसलों के आधर पर आदेश पारित करें.’’
अदालत ने अदालती कर्मचारी को अपना आदेश लिखवाना शुरू किया जिसमें उन्होंने सरकारी वकील का विरोध दर्ज किया. लेकिन सरकारी वकील ने न्यायाधीश से अनुरोध किया कि यह न लिखें कि अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध किया और ‘‘कानून के अनुरूप आदेश पारित करें.’’
इस पर न्यायाधीश ने सरकारी वकील से पूछा, ‘‘आप विरोध करते हैं या नहीं.’’ सरकारी वकील ने जवाब दिया, ‘‘दोनों में से कुछ भी नहीं। मेरी दलील है कि कानून के अनुरूप आदेश पारित करें.’’ न्यायाधीश ने फिर से सरकारी वकील से पूछा कि उत्तर क्या है ‘‘हां या ना’’. सरकारी वकील ने जवाब दिया ‘‘दोनों में से कुछ भी नहीं.’’
इसके बाद न्यायाधीश ने अदालती कर्मचारी को अपना फैसला लिखवाना शुरू किया, ‘‘सरकारी वकील ने कहा कि वह न तो विरोध करते हैं और न ही समर्थन करते हैं तथा इस पर कानून के अनुरूप फैसला होना चाहिए.’’
सरकारी वकील ने न्यायाधीश से अनुरोध किया कि कृपया आदेश में यह भी जोड़ें कि ‘‘उच्चतम न्यायालय के फैसलों के अनुरूप (जमानत अर्जी पर आदेश पारित करें).’’ इस पर, न्यायाधीश ने अदालत के कर्मचारी से कहा, ‘‘...उच्चतम न्यायालय के फैसलों/आदेशों/निर्देशों के अनुरूप’’.
इसके बाद उन्होंने सरकारी वकील से पूछा, ‘‘और कुछ?’’
सरकारी वकील ने कहा, ‘‘बस इतना ही श्रीमान.’’ इसके बाद अदालत ने सिंह और भारतीय कुश्ती महासंघ के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर को जमानत दे दी.
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