नयी दिल्ली, एक अप्रैल दिल्ली की आबकरी नीति ‘घोटाले’ के सिलसिले में गिरफ्तार बीआरएस नेता के. कविता के वकील ने सोमवार को यहां एक अदालत को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय एक ‘‘उत्पीड़न एजेंसी’’ के रूप में काम कर रहा है और उनके मुवक्किल के खिलाफ जांच ‘‘पूरी तरह से प्रेरित’’ थी।
विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कविता की जमानत के लिए दलीलें दीं।
उन्होंने अदालत से कहा, ‘‘ईडी एक अभियोजन एजेंसी के रूप में नहीं बल्कि एक उत्पीड़न करने वाली एजेंसी के रूप में काम कर रही है... जांच पूरी तरह से प्रेरित है। वे (ईडी) कहते हैं कि या तो हम आपको गिरफ्तार करेंगे और अगर आपको गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो हम बिल्ली और चूहे का खेल खेलेंगे।’’
इस बात पर जोर देते हुए कि एजेंसी ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता कविता को बार-बार तलब किया था, सिंघवी ने कहा, ‘‘प्रतिदिन एक समन ईडी को उसी तरह खुश रखता है, जैसे प्रतिदिन एक सेब डॉक्टर को दूर रखता है।’’
जब न्यायाधीश ने वकील से पूछा कि क्या वह कविता की अंतरिम याचिका या अंतिम जमानत अर्जी के लिए बहस कर रहे हैं तो वरिष्ठ वकील ने कहा कि वह अंतरिम जमानत और अंतिम जमानत दोनों के लिए बहस कर रहे हैं और भले ही अंतरिम राहत दी गई हो या अस्वीकार कर दी गई हो, अंतिम राहत का विकल्प खुला रहेगा।
वकील ने कहा, ‘‘अदालत हमेशा (अंतरिम) राहत दे सकती है। यह अदालत का विशेषाधिकार है।’’
वकील ने कहा कि कविता की जड़ें समाज में गहरी हैं और उनके साथ एक सामान्य अपराधी या ‘‘गैंगस्टर’’ जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता।
ईडी के विशेष स्थायी वकील जोहेब हुसैन ने सिंघवी द्वारा अंतरिम और अंतिम जमानत याचिका दोनों के लिए बहस करने का कड़ा विरोध किया।
उन्होंने कहा, ‘‘आज, हमें सिर्फ अंतरिम जमानत पर बहस करनी थी।’’
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