देश की खबरें | दिल्ली की अदालत ने डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने पर रोक लगाई

नयी दिल्ली, 25 नवंबर दिल्ली की एक अदालत ने यहां लोकनायक अस्पताल के एक डॉक्टर के खिलाफ 2005 में एक मरीज की गुर्दे के उपचार में कथित चिकित्सकीय लापरवाही के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने पर रोक लगा दी है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चारु अग्रवाल ने एक अंतरिम आदेश में कथित चिकित्सकीय लापरवाही के लिए चिकित्सक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले पर रोक लगा दी।

मजिस्ट्रेट ने रवींद्र नाथ दुबे की शिकायत पर आदेश पारित किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उस समय लोकनायक अस्पताल में बाल रोग प्रमुख रहे डॉ. योगेश कुमार सरीन ने उनके बेटे का नेफरेक्टोमी किया और उनकी सहमति के बिना उसकी किडनी निकाल दी।

सरीन ने आदेश को चुनौती देते हुए आपराधिक मामलों के वकील नमित सक्सेना के माध्यम से तर्क दिया कि उन्होंने शिकायतकर्ता से लिखित सहमति ली थी, और पांच बार हुई पूछताछ में भी उन्हें निर्दोष करार दिया गया था।

वकील ने कोर्ट को बताया कि सरीन पिछले 16 साल से लोकनायक अस्पताल में सीनियर डॉक्टर हैं और उस दौरान दिल्ली मेडिकल काउंसिल समेत विभिन्न मेडिकल कमेटियों ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।

सत्र न्यायाधीश ने 23 नवंबर के आदेश में कहा, ''दिल्ली मेडिकल काउंसिल सहित विभिन्न मेडिकल बोर्ड की रपटों को ध्यान में रखते हुए मामले के तर्कों-वितर्कों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने पर अगले आदेश तक रोक लगाई जाती है।''

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