देश की खबरें | दरगाह आला हजरत ने की बाराबंकी में तोड़ी गई मस्जिद दोबारा बनवाने की मांग
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बरेली (उत्तर प्रदेश), 24मई बरेलवी मुसलमानों की आस्था के प्रमुख केंद्र दरगाह आला हज़रत के प्रबंधन ने बाराबंकी जिले के रामसनेहीघाट में प्रशासन द्वारा पिछले दिनों 'अवैध आवासीय परिसर' बताकर ढहायी गयी 100 साल पुरानी मस्जिद को दोबारा बनवाने और इसे जमींदोज करने के जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की है।

दरगाह आला हजरत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि सोमवार को रामसनेहीघाट मस्जिद प्रकरण को लेकर दरगाह परिसर में एक अहम बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता कर रहे दरगाह आला हजरत के मुख्य प्रबंधक सुबहान रज़ा खान उर्फ सुबहानी मियां ने बाराबंकी प्रशासन द्वारा 100 साल पुरानी गरीब नवाज़ मस्जिद गिराए जाने पर सख्त नाराज़गी का इज़हार किया।

उन्होंने बताया कि सुबहानी मियां ने मस्जिद को दोबारा बनवाए जाने और मस्जिद को ध्वस्त कराने के ज़िम्मेदार अधिकारियों को निलंबित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

कुरैशी ने बताया कि दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी ने भी मस्जिद गिराए जाने की कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा, “ प्रशासन ने वर्ष 1963 से वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज उस 100 साल पुरानी मस्जिद को एक साजिश के तहत गैर कानूनी तरीके से कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच जबरन शहीद करा दिया जबकि इससे जुड़ा मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। ”

कुरैशी ने बताया कि पूरे प्रकरण की जानकारी लेने के लिए दरगाह से एक प्रतिनिधिमंडल मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी, मौलाना आज़म हशमती, मौलाना इब्राहीम रज़ा व अब्दुल हक़ के नेतृत्व में बाराबंकी भेजा गया है।

उन्होंने कहा कि उसकी रिपोर्ट मिलते ही आगे की रणनीति तैयार की जाएगी और जल्द ही लखनऊ में एक प्रतिनिधिमण्डल उच्च अधिकारियों से इस सिलसिले में मुलाकात करेगा।

गौरतलब है कि 17 मई की शाम को रामसनेहीघाट तहसील के उप जिला मजिस्ट्रेट/उप जिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल की अदालत के आदेश पर उनके आवास के ठीक सामने स्थित एक पुरानी मस्जिद को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच जमींदोज कर दिया गया था। यह मस्जिद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में दर्ज थी। वहीं, प्रशासन का दावा है कि वह एक अवैध आवासीय परिसर था।

वक्फ बोर्ड का आरोप है कि उप जिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल ने उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद उस 100 साल पुरानी मस्जिद को ध्वस्त करा दिया। यह काम पूरी साजिश के तहत अंजाम दिया गया। यह पूर्वाग्रहपूर्ण और विद्वेषपूर्ण कार्रवाई करके उप जिलाधिकारी ने न्यायालय की अवमानना और वक्फ अधिनियम का उल्लंघन किया है। बोर्ड इस मामले में जल्द ही उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर करेगा।

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