श्रीलंका के पश्चिमी प्रांत में फिर कर्फ्यू लगा, राजपक्षे के इस्तीफे के कोई संकेत नहीं
गोटबाया राजपक्षे (Photo: Facebook)

कोलंबो, 14 जुलाई : श्रीलंकाई प्राधिकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के इस्तीफे को लेकर व्याप्त भ्रम के बीच पश्चिमी प्रांत में बृहस्पतिवार को फिर से कर्फ्यू लागू कर दिया. अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहे द्वीपीय देश के राष्ट्रपति राजपक्षे बुधवार को श्रीलंका छोड़कर मालदीव चले गए. राजपक्षे (73) ने बुधवार को इस्तीफा देने का वादा किया था. उन्होंने देश छोड़कर जाने के कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया, जिससे राजनीतिक संकट बढ़ गया और नए सिरे से प्रदर्शन शुरू हो गए. राजपक्षे के देश छोड़कर जाने के बाद बुधवार को दोपहर बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और संसद जाने वाले मुख्य मार्ग पर प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुई, जिसके बाद कम से कम 84 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया. पुलिस ने अवरोधक हटाने तथा निषिद्ध क्षेत्र में घुसने का प्रयास कर रही भीड़ को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें कीं.

पुलिस प्रवक्ता निहाल थाल्दुवा ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने श्रीलंका के एक सैनिक की टी56 राइफल और 60 गोलियां छीन लीं. हिंसा भड़कने के बाद प्राधिकारियों को पश्चिमी प्रांत में कर्फ्यू लगाना पड़ा था. कर्फ्यू सुबह हटा दिया गया था. लेकिन राजपक्षे के इस्तीफे पर अनिश्चितता की स्थिति के बीच हिंसा भड़कने की आशंका के कारण फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया. संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने बृहस्पतिवार को गोटबाया राजपक्षे को सूचित किया कि उन्हें जल्द से जल्द राष्ट्रपति के तौर पर अपना इस्तीफा सौंप देना चाहिए, वरना वह उन्हें पद से हटाने के लिए अन्य विकल्पों पर गौर करेंगे. उन्होंने कहा कि चूंकि कार्यवाहक राष्ट्रपति की नियुक्ति की गयी है तो संसद के अध्यक्ष का कार्यालय राष्ट्रपति के अपना इस्तीफा पत्र न देने पर ‘‘उनका पद खाली कराने’’ के विकल्पों पर विचार करने के लिए कानूनी प्रावधानों को तलाश रहा है. श्रीलंकाई संसद के एक प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा अपना इस्तीफा पत्र न सौंपे जाने के मद्देनजर शुक्रवार को संसद का सत्र बुलाना निश्चित नहीं है.

प्रधानमंत्री के मीडिया प्रभाग ने बुधवार को कहा कि कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने अध्यक्ष अभयवर्धने को ऐसा प्रधानमंत्री नामित करने के लिए कहा है जो सरकार तथा विपक्ष दोनों को स्वीकार्य हो. बुधवार को प्रदर्शन विक्रमसिंघे को लेकर हुए. उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किए जाने के बाद उनके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ने लगी है. विक्रमसिंघे ने एक बयान में अध्यक्ष से सर्वदलीय अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री बनने के लिए योग्य उम्मीदवार तलाशने को कहा है. बहरहाल, प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि अंतरिम सरकार में ऐसे नेता ही शामिल हों, जो उन्हें स्वीकार्य हैं. इस बीच, सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति राजपक्षे मालदीव से सिंगापुर के लिए रवाना हो गए हैं. राजपक्षे की बुधवार रात को सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण माले से सिंगापुर जाने वाले विमान में सवार नहीं हो पाए थे.यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर वैट घटाया, सरकारी खजाने पर पड़ेगा 6,000 करोड़ रुपये का बोझ

ऐसा बताया जा रहा है कि राजपक्षे ने असैन्य विमान से उड़ान भरने को लेकर सुरक्षा चिंताएं व्यक्त की थी और वह मालदीव प्राधिकारियों से सिंगापुर जाने के लिए एक निजी विमान की व्यवस्था करने की गुजारिश कर रहे थे. इस बीच, श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय सहित कुछ अहम प्रशासनिक इमारतों को खाली करने का फैसला किया. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर नौ जुलाई को राष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास पर कब्जा जमा लिया था. बुधवार को वे प्रधानमंत्री के कार्यालय में भी घुस गए थे. राजपक्षे नयी सरकार द्वारा गिरफ्तार किए जाने की आशंका के चलते इस्तीफा देने से पहले ही विदेश चले गए.

उन्होंने संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को सूचित किया था कि वह बुधवार को इस्तीफा देंगे. उन्होंने यह घोषणा तब की थी जब प्रदर्शनकारी द्वीपीय देश में बिगड़े हालात को लेकर आक्रोश के बीच उनके आधिकारिक आवास में घुस गए थे. मालदीव की राजधानी माले में सूत्रों ने बताया कि संकट से घिरे श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे की देश छोड़कर जाने में मालदीव की संसद के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मदद की. गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने पिछले सप्ताह कहा था कि श्रीलंका अब दिवालिया हो चुका है.