विदेश की खबरें | कोविड-19 जांच रिपोर्ट अगली महामारी की तैयारी के लिए मार्गदर्शिका, तत्काल कदम उठाने की जरूरत
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

कोविड-19 की जांच के लिए ‘रॉयल कमीशन’ की रिपोर्ट में पाया गया कि न्यूजीलैंड भी अधिकांश अन्य देशों की तरह कोविड के दायरे और महामारी से निपटने के लिए पूर्ण रूप से तैयार नहीं था।

रिपोर्ट के मुताबिक, अगली अपरिहार्य महामारी के मद्देनजर खुद को तैयार करने के लिए न्यूजीलैंड को नीति निर्माताओं के लिए उपलब्ध प्रतिक्रिया विकल्पों और उपकरणों के दायरे को बढ़ाते हुए जनस्वास्थ्य क्षमता के निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार खासकर नौकरियों में कटौती और जनस्वास्थ्य क्षमता में कमी के संदर्भ में इन सिफारिशों को कब और कैसे लागू करेगी।

ते व्हाटू ओरा या हेल्थ एनजेड 1,500 से अधिक नौकरियों में कटौती करने जा रहा है, जिसमें राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और इसकी डिजिटल व डेटा टीमों के लोग शामिल हैं।

ये क्षमताएं भविष्य में किसी भी महामारी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

रणनीति है जरूरी

रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूजीलैंड द्वारा उन्मूलन रणनीति अपनाना अत्यधिक सफल रहा लेकिन इसका जीवन के सभी पहलुओं पर व्यापक प्रभाव पड़ा।

इस रणनीति के लिए सीमा नियंत्रण, ‘लॉकडाउन’ और अन्य प्रतिबंधों का शीघ्र उपयोग आवश्यक था, जिससे अधिकांश आबादी के टीकाकरण होने तक व्यापक संक्रमण को रोकने में मदद मिली।

इस कदम से दूसरे देशों की तुलना में न्यूजीलैंड में कोविड से सबसे कम मौत हुईं जो दुनिया भर में चर्चा का विषय रहीं।

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जैसे-जैसे महामारी 2021 के अंत में तेजी से बढ़ी, नकारात्मक प्रभाव बढ़ते गए।

महामारी को नियंत्रित करने के लिए जनादेश पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध, पृथकवास, संक्रमित रोगियों का पता लगाकर उन्हें अलग करना और टीकाकरण की आवश्यकताएं शामिल थीं। इसके प्रभावों में कुछ समुदायों के भीतर सरकार पर भरोसा कम होना और सामाजिक सामंजस्य बिगड़ना भी शामिल था।

गलत और भ्रामक सूचनाओं के संपर्क में आने से टीकाकरण एक बढ़ती चुनौती के रूप में उभरा।

आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय तक महामारी और उन्मूलन से बाहर निकलने की स्पष्ट रणनीति की कमी ने कठिनाइयों को और बढ़ा दिया।

महामारी नियोजन के लिए रूपरेखा रिपोर्ट में बताया गया कि किस तरह कोविड ने महामारी रोगजनकों के बारे में अंतरराष्ट्रीय समझ को बढ़ाया, जिससे यह पता चल सका कि बीमारी के दायरे और उसकी अवधि के कारण हालात से निपटने के लिए अलग तरह की प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है।

रिपोर्ट में सुझायी गयी 39 सिफारिशें भविष्य में महामारी नियोजन के लिए एक स्वागत योग्य और आवश्यक रूपरेखा प्रदान करती हैं।

यह सिफारिशें महामारी और अन्य राष्ट्रीय खतरों के लिए सरकार की सभी तैयारियों और प्रतिक्रिया नियोजन को समन्वित करने के लिए एक केंद्रीय एजेंसी की मांग करती है।

हालांकि, रिपोर्ट में कोविड संक्रमण के दीर्घकालिक प्रभावों को कम करने के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा गया, खास तौर पर लंबे समय तक शरीर में कोविड के प्रभाव को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं दी गयी।

महामारी अभी भी जारी है और संक्रमण को कम करने के लिए जारी टीकाकरण व प्रयास महत्वपूर्ण बने हुए हैं।

कार्यान्वयन की चुनौतियां

रिपोर्ट की अंतिम सिफारिश महत्वपूर्ण है, जिसमें कार्यान्वयन प्रक्रिया का नेतृत्व करने के लिए सरकार के एक मंत्री को नियुक्त करने और प्रगति पर छह-मासिक रिपोर्टों को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने की बात कही गई है।

यहीं पर हमें गठबंधन सरकार से स्पष्ट प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।रिपोर्ट में प्रस्ताव दिया गया कि कार्यान्वयन तुरंत शुरू होना चाहिए। हालांकि, यह संभव है कि जांच के अतिरिक्त दूसरे चरण की प्रतीक्षा करते समय 2026 की पहली छमाही तक यह कदम लागू नहीं होंगे।

इस बीच, भविष्य में महामारी का खतरा बढ़ रहा है।

कई समीक्षाओं से पता चलता है कि अगले दशक में एक और कोविड जैसी महामारी होने की 18 से 26 फीसदी संभावना है।

महामारी की संभावना वाले संक्रामक एजेंटों की एक लंबी और बढ़ती सूची है। इस सूची में सबसे ऊपर इन्फ्लूएंजा है, जिसमें बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ रहा है क्योंकि यह मवेशियों जैसे नए स्तनधारी जानवरों और अब उत्तरी अमेरिका में मनुष्यों को भी अपनी चपेट में ले रहा है।

हमारे पास योजना है, अब हमें केवल सरकार से त्वरित प्रतिक्रिया, सक्रिय नेतृत्व और पूर्वानुमानित निर्णय लेने की आवश्यकता है ताकि न्यूजीलैंड को महामारी से निपटने के लिए तत्काल जरूरी तैयारी हो सके।

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