नयी दिल्ली, 14 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर मुद्दे उठाने वाली याचिकाओं पर 17 जुलाई को सुनवाई करेगा।
यह परियोजना राष्ट्रपति भवन से लुटियंस दिल्ली में इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के दायरे में है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका भी शामिल है जिसमें कहा गया था कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को सेंट्रल विस्टा परियोजना को अनुमति देने के लिए मास्टर प्लान में परिवर्तनों को अधिसूचित करने से पहले उसको सूचित करने की जरूरत नहीं थी।
शीर्ष अदालत ने 19 जून को कहा था कि केंद्र सरकार की परियोजना के लिए अधिकारियों द्वारा जमीनी स्तर पर किए गए कोई भी बदलाव ‘‘उनके अपने जोखिम पर होगा।”
न्यायालय ने साफ कर दिया था कि परियोजना का भाग्य उसके फैसले पर निर्भर होगा।
अदालत को पहले बताया गया था कि दो अधिसूचनाएं जारी की गई हैं - पहला भूमि उपयोग परिवर्तन से संबंधित और दूसरा परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी देने से जुड़ी हुई थी।
केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि परियोजना को जरूरी मंजूरी देने में किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने उसकी एकल न्यायाधीश वाली पीठ के आदेश पर 28 फरवरी को रोक लगा दी थी, जिसमें डीडीए से केंद्र की सेंट्रल विस्टा को फिर से विकसित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर आगे बढ़ने से पहले मास्टर प्लान में किसी तरह के बदलाव से पहले अदालत का रुख करने को कहा था।
डीडीए और केंद्र की अंत: अदालती अपील पर एकल न्यायाधीश की पीठ के 11 फरवरी के निर्देश पर उच्च न्यायालय ने यह रोक लगाई थी।
उच्च न्यायालय के समक्ष दो याचिकाकर्ताओं ने सेंट्रल विस्टा परियोजना का इस आधार पर विरोध किया था कि इसमें नयी संसद एवं सरकारी कार्यालयों के निर्माण के लिए बगल के राजपथ और विजय चौक के हरित इलाके के भूमि उपयोग में बदलाव किया जाना शामिल है।
सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास की केंद्र की महत्वकांक्षी परियोजना के लिए परामर्श बोली गुजरात की वास्तुकला कंपनी एचसीपी डिजाइन ने जीती है।
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