नयी दिल्ली, छह अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में सरकारी विश्वविद्यालयों के नवनियुक्त अंतरिम कुलपतियों के भत्ते पर रोक लगा दी और राज्यपाल सीवी आनंद बोस से कहा कि वह कुलपतियों की नियुक्ति से संबंधित गतिरोध को हल करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ कॉफी पीते हुए चर्चा करें।
शीर्ष अदालत ने कहा कि "शैक्षणिक संस्थानों और लाखों छात्रों के भविष्य के करियर के हित में" राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच सुलह की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि अगस्त में नियुक्त अंतरिम कुलपतियों के भत्तों पर रोक उनकी नियुक्ति की राज्यपाल की कार्रवाई के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका लंबित होने तक जारी रहेगी।
राज्यपाल राज्य विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति होते हैं।
पीठ ने राज्यपाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्रि नायडू से कहा, "कृपया इसे कुलाधिपति को बताएं। हमारा अनुरोध है कि एक तारीख और समय तय किया जाए जो मुख्यमंत्री के लिए सुविधाजनक हो और उन्हें एक कप कॉफी के लिए आमंत्रित किया जाए ताकि इन चीजों पर चर्चा की जा सके और समाधान निकाला जा सके।"
न्यायमूर्ति कांत ने कहा, "हम सहमत हैं, कभी-कभी संवैधानिक पदाधिकारियों के बीच मतभेद होते हैं। न्यायिक पक्ष में, हम न्यायाधीश भी एक-दूसरे से असहमत होते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम मिलना और चीजों पर चर्चा करना बंद कर दें।"
शीर्ष अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के 28 जून के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि 11 राज्य संचालित विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति के राज्यपाल द्वारा जारी आदेशों में कोई अवैधता नहीं है।
राज्य के विश्वविद्यालयों को कैसे चलाया जाए, इसे लेकर ममता बनर्जी सरकार और राज्यपाल के बीच तीखी खींचतान चल रही है।
शुक्रवार को पीठ ने अंतरिम कुलपतियों की नवीनतम नियुक्तियों को चुनौती देने वाले राज्य द्वारा दायर एक आवेदन पर नोटिस जारी किया और एक सप्ताह के भीतर राज्यपाल कार्यालय से जवाब मांगा।
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