देश की खबरें | डिजिटल उपकरणों की जब्ती पर दिशानिर्देशों के लिए याचिका पर सरकार के हलफनामे से न्यायालय संतुष्ट नहीं

नयी दिल्ली, पांच अगस्त उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह निजी डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तथा उनकी सामग्री की जब्ती, जांच और संरक्षण के संबंध में जांच एजेंसियों के लिए उपयुक्त दिशा-निर्देश के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र के हलफनामे से संतुष्ट नहीं है।

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में निजी जानकारी और सामग्री होती है जिसे संरक्षित करने की आवश्यकता होती है। पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा, ‘‘आज, लोग इसी पर जीते हैं।’’

शीर्ष अदालत ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू से यह सुनिश्चित करने को कहा कि इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों के बारे में विवरण सहित उचित सामग्री को रिकॉर्ड में रखा जाए। एएसजी ने पीठ से कहा कि वह एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करेंगे और छह सप्ताह का समय मांगा।

पीठ ने कहा, ‘‘आपको सामग्री पर गौर करना होगा और फिर फैसला करना होगा। हम दाखिल जवाबी हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं।’’ पीठ आगे 26 सितंबर को मामले पर सुनवाई करेगी।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल मार्च में पांच शिक्षाविदों द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था, जिसमें निजी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उनकी सामग्री की जब्ती, जांच और संरक्षण के संबंध में दिशानिर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

अदालत ने पिछले साल मार्च के अपने आदेश में कहा था कि राज्यों को नोटिस जारी करने की आवश्यकता पर विचार करने से पहले इस स्तर पर केंद्र को नोटिस जारी करना और उसकी प्रतिक्रिया जानना उचित होगा। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एएसजी ने कहा कि राज्यों को अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा जा सकता है। पीठ ने कहा, ‘‘हम पहले आपका रुख जानना चाहते हैं।’’ शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘राज्यों को हमारे द्वारा नोटिस जारी नहीं करने के पीछे वजह यह है कि 20 राज्य आएंगे और 20 चीजें होंगी।’’

याचिका में कहा गया है कि तलाशी और जब्ती की शक्ति निजता के अधिकार से संबंधित हैं और पर्याप्त सुरक्षा उपाय होने चाहिए। याचिका में कहा गया है, ‘‘आज, ऐसी शक्ति के प्रयोग को निर्देशित करने के लिए कोई विशिष्ट और बाध्यकारी मानदंड नहीं हैं। इलेक्ट्रॉनिक डेटा और उपकरण किसी अन्य भौतिक वस्तु या चीज से अलग वर्ग के हैं। उनमें किसी के बारे में संपूर्ण पेशेवर और निजी जानकारियां होती है, जिनमें से अधिकतर किसी जांच से संबंधित नहीं होती। डेटा में आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है और दूर से भी इसमें छेड़छाड़ की आशंका रहती है।’’ याचिका में अदालत से निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि जांच एजेंसियों द्वारा डिजिटल उपकरणों की जांच और जब्ती एक प्रक्रिया के तहत हो, जो निजता के अधिकार, पेशेवर काम की गोपनीयता की रक्षा करे।

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