नयी दिल्ली, पांच नवम्बर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली जिनमें केंद्र की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना पर सवाल उठाए गए हैं। यह योजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने विस्तृत सुनवाई के बाद संबंधित पक्षों से कहा कि वे अतिरिक्त लिखित नोट 16 नवम्बर तक दायर कर सकते हैं। पीठ इस पर फैसला बाद में सुनायेगी।
पीठ ने कहा, ‘‘विभिन्न पक्षों के वकीलों को विस्तार से सुना। सुनवाई पूरी हुई। फैसला सुरक्षित रख लिया गया। पक्ष अतिरिक्त लिखित नोट 16 नवंबर तक दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं।’’
पिछले वर्ष सितम्बर में इस परियोजना की घोषणा हुई थी जिसमें एक नये त्रिकोणाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है जिसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है जब देश स्वतंत्रता के 75वीं वर्षगांठ मनाएगा।
साझा केंद्रीय सचिवालय के बनने का अनुमान 2024 तक है।
याचिकाओं का विरोध करते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत में तर्क दिया था कि परियोजना से ‘‘धन की बचत’’ होगी जिसका भुगतान राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार के मंत्रालयों के लिए किराये पर घर लेने के लिए किया जाता है। इन याचिकाओं में कई पहलुओं को लेकर सवाल उठाए गए हैं जिनमें परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय से दी गई मंजूरी भी शामिल है।
अदालत इस मुद्दे पर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एक याचिका कार्यकर्ता राजीव सूरी ने परियोजना को भूमि उपयोग बदलाव की मंजूरी सहित दी गई अन्य विभिन्न मंजूरियों के खिलाफ दायर की है।
नीरज
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)