लखनऊ, 28 दिसंबर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की काशी इकाई का चार-दिवसीय 64वां अधिवेशन भगवान कुश की नगरी कुशभवनपुर (सुल्तानपुर) में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ जिसमें चार महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए।
एबीवीपी ने एक बयान में कहा, “इन प्रस्तावों में 'कोचिंग संस्थानों द्वारा शिक्षा के व्यवसायीकरण एवं अनैतिक क्रिया-कलापों पर रोक', 'पर्यावरण संरक्षण की गतिविधि का केंद्र बने शैक्षणिक परिसर', 'महाकुम्भ 2025 में पधारने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत प्रस्ताव' एवं 'उत्तर प्रदेश की युवा शक्ति को कुशल बनाने का आधार बन रही है स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना' शामिल हैं।
इस प्रांतीय अधिवेशन में काशी प्रांत के लगभग 1,200 विद्यार्थी एवं शिक्षक और कार्यकर्ता शामिल हुए, जिसमें पुनः प्रांत अध्यक्ष एवं मंत्री के रूप में प्रोफेसर सुचिता त्रिपाठी और अभय प्रताप सिंह का निर्वाचन किया गया।
एबीवीपी के इस प्रांतीय अधिवेशन में पारित किए प्रस्ताव में कोचिंग संस्थानों द्वारा शिक्षा के बढ़ते बाजारीकरण एवं अनैतिक क्रिया कलापों के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर शिक्षा के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने वाले क्रिया कलापों पर तत्काल रोक की मांग की गई।
इसके अलावा, विश्व भर में उत्पन्न हो रही पर्यावरणीय समस्याओं के निवारण में परिसरों की महती भूमिका सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक परिसर को पर्यावरण संरक्षण की गतिविधियों का केंद्र बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया।
इसी के साथ प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुम्भ की विशिष्टता एवं महत्ता बताए हुए विश्वभर से आने वाले श्रद्धालुओं एवं संतों का स्वागत प्रस्ताव भी पारित किया गया। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा युवाओं के सशक्तीकरण के लिए चलाई जा रही 'स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना' का अभिनंदन करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया है।
इन चार प्रस्तावों के प्रस्तावक प्रांत मंत्री अभय प्रताप सिंह, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अभिनव मिश्र, प्रांत सह-मंत्री कार्तिकेय पति त्रिपाठी और प्रांत सह-मंत्री नमन श्रीवास्तव ने सुझावों के लिए सभी प्रतिनिधियों से आग्रह किया था जिसके बाद सभी सुझावों को सम्मिलित करते हुए प्रांत अध्यक्ष सुचिता त्रिपाठी द्वारा इन महत्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित किया गया है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री अंकित शुक्ल ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने भारत को पुनः वैश्विक पटल पर स्थापित करने की ठानी है। जिस विकसित भारत का सपना हम सभी देख रहे हैं, वह भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से ही संभव हो पाएगा।
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