देश की खबरें | न्यायालय ने काला जादू, जबरन धर्मांतरण रोकने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

नयी दिल्ली, नौ अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने काला जादू और जबरन धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई से शुक्रवार को इनकार करते हुए कहा कि 18 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति अपना धर्म चुनने के लिए स्वतंत्र है।

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऋषिकेष रॉय की पीठ ने याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता शंकरनारायण से कहा, “अनुच्छेद 32 के तहत यह किस तरह की याचिका है। हम आप पर भारी जुर्माना लगाएंगे। आप अपने जोखिम पर बहस करेंगे।”

पीठ ने कहा कि 18 वर्ष से अधिक आयु वाले किसी व्यक्ति को उसका धर्म चुनने की अनुमति नहीं देने का कोई कारण नहीं हैं।

पीठ ने शंकरनारायण से कहा, “संविधान में प्रचार शब्द को शामिल किए जाने के पीछे कारण है।”

इसके बाद शंकरनारायण ने याचिका वापस लेने और सरकार एवं विधि आयोग के समक्ष प्रतिवेदन दायर करने की अनुमति मांगी।

पीठ ने विधि आयोग के समक्ष प्रतिवेदन की अनुमति देने से इनकार कर दिया और कहा, “हम आपको यह इजाजत नहीं दे सकते।”

न्यायालय ने वापस ली गई याचिका के रूप में इसका निस्तारण किया।

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