ईटानगर, 30 नवंबर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि देश के सत्ता गलियारों से भ्रष्टाचार समाप्त हो गया है।
अरुणाचल प्रदेश के दोईमुख में राजीव गांधी विश्वविद्यालय के 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि भ्रष्टाचार युवा मस्तिष्कों पर बहुत बुरा प्रभाव डाल रहा है।
उन्होंने कहा, “पक्षपात, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद- ये आपकी प्रतिभा को नष्ट कर रहे थे। नौकरी, अनुबंध एवं अवसर के लिए भ्रष्टाचार एक पासवर्ड था। यह गायब हो गया है। सत्ता के गलियारों से भ्रष्टाचार को खत्म कर दिया गया है।”
राज्यसभा में व्यवधान पर धनखड़ ने कहा कि बहस, संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श से दूर रखने के लिए छल और व्यवधान को एक “हथियार” और राजनीतिक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि देश का युवा लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में सांसदों के आचरण पर नजर रख रहा है और उन्हें जवाबदेह बनाएगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत पहले से ही विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
उन्होंने कहा, “भारत एक ऐसा देश है जो निरंतर आगे बढ़ रहा है - चाहे आप समुद्र को देख लें, चाहे आप भूमि को लें, चाहे आप आकाश को देख लें या फिरअंतरिक्ष पर नजर डालें।”
स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करते हुए धनखड़ ने नागरिकों से स्वदेशी उद्योगों का समर्थन करने का आग्रह किया।
उन्होंने जोर देकर कहा, “यदि आप स्थानीय उत्पादों पर विश्वास जताते हैं, तो आप राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान देंगे।”
उन्होंने कहा, “पहला, यह हमारे उन लोगों से रोजगार छीन लेता है जो इसे बना सकते हैं। दूसरा, हमारी विदेशी मुद्रा खत्म हो जाती है। तीसरा, हमारी उद्यमशीलता कुंद हो जाती है।”
धनखड़ ने लोगों से प्राकृतिक संसाधनों का यथासंभव उपयोग न करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “पेट्रोल, गैस या किसी अन्य प्राकृतिक संसाधन का उपयोग सिर्फ इसलिए न करें क्योंकि आपकी जेब इसे वहन कर सकती है। प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग होना चाहिए।”
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)