जरुरी जानकारी | सहकारिता आंदोलन ने भारत के दूध उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई: अमित शाह

हिम्मतनगर (गुजरात), 19 नवंबर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि देश के सहकारिता आंदोलन ने पिछले पांच दशक में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर कस्बे के पास साबर डेयरी के परिसर में साबरकांठा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के 800 टन पशु आहार संयंत्र का उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए शाह ने किसानों से प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाने का भी आग्रह किया।

शाह ने कहा, ‘‘भारत में 1970 में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन मात्र 40 ग्राम था। इसका मतलब है कि देश में हर व्यक्ति को प्रतिदिन केवल 40 ग्राम दूध उपलब्ध था। 2023 में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन बढ़कर 167 ग्राम प्रतिदिन हो गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक प्रति व्यक्ति औसत 117 ग्राम है। यह दर्शाता है कि भारत का प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन औसत अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक है। और हमारे सहकारी आंदोलन ने दूध उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’

इस अवसर पर, मंत्री ने भारत में सहकारी आंदोलन के जनक माने जाने वाले त्रिभुवनदास पटेल को याद किया। उन्होंने वर्ष 1946 में कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ की शुरुआत की थी, जिसने डेयरी उत्पादों के ‘अमूल’ ब्रांड की नींव रखी।

शाह ने किसानों और पशुपालकों से प्राकृतिक खेती अपनाने का भी आग्रह किया और कहा कि 10 लाख करोड़ रुपये का वैश्विक बाजार उनका इंतजार कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्राकृतिक खेती से न केवल किसानों को समृद्धि मिलेगी, बल्कि कैंसर, रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों से भी लोगों को मुक्ति मिलेगी। 20 एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती करने के लिए एक गाय होना ही काफी होगा। एक बार जब आप इस खेती की तकनीक को अपना लेंगे, तो आपको कभी कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ेगी।’’

शाह ने किसानों से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है और किसानों को उनकी कृषि उपज का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए पहले ही दो महत्वपूर्ण कदम उठा चुकी है।

शाह ने कहा, ‘‘अमूल जैसी सहकारी संस्थाएं अब इन कृषि उपज को खरीदने के लिए अधिकृत हैं। वर्तमान में अमूल द्वारा प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई 20 वस्तुओं की खरीद की जा रही है। केंद्र ने इन उत्पादों के निर्यात के लिए एक सहकारी संस्था की भी स्थापना की है।

उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में आपको लगेगा कि प्राकृतिक खेती का कोई फायदा नहीं है। पहले साल आपको अच्छा उत्पादन नहीं मिलेगा। लेकिन बाद के वर्षों में नुकसान की भरपाई हो जाएगी। एक बार जब आप इस तकनीक को अपना लेंगे, तो भारतीय किसानों के लिए एक लाख करोड़ रुपये के वैश्विक बाजार के दरवाजे खुल जाएंगे।’’

उनके अनुसार, सहकारी क्षेत्र की डेयरियों को भी किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देना शुरू करना चाहिए।

शाह ने महिला किसानों से आग्रह किया कि वे सफलता मिलने के बाद आगे विस्तार करने से पहले छोटे पैमाने पर इस प्राकृतिक खेती को आजमाएं।

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